पुस्तकों का प्रकाशन विवरण
- लेखकों के पत्र
- कहानी
- तीसरी बीवी
- कला बाज़ार
- दी हुई नींद
- वह हथेली
- अनचाहे दरवाज़े पर
- आवारा हवाओं के ख़िलाफ चुपचाप
- सरापता हूं
- भग्न नीड़ के आर पार
- एक अदहन हमारे अन्दर
- खुशी ठहरती है कितनी देर
- मनुष्य और मत्स्यकन्या
- बीसवीं सदी की आख़िरी दहाई
- कुछ दुःख, कुछ चुप्पियां
- टिप टिप बरसा पानी
- मुझे विपुला नहीं बनना
- ज़रा सा नास्टेल्जिया
- कालजयी कहानियांः ममता कालिया
- कालजयी कहानियांः मृदुला गर्ग
11/16/2010
एक जीवन का उत्कर्ष
कहानी
साभारःपाखी, नवम्बर 2010
-"तुम्हारा नाम...?"
-"कुमारी लाजवंती...।"
-"काम क्या करती हो? "
-"मैले की साफ़-सफ़ाई। खटा पैखाने का मैला सिर पर ढोने का काम..।"
-"मैला मतलब..? "
-"नाइट साइल कहते हैं बाबू लोग। मुंशीपाल्टी की गाडिय़ों पर लिखा हुआ नहीं देखा है नाइट साइल। पाइप से खींचकर उसमें भरते हैं.. मगर कई जग़ह हमें भी साफ़ करना पड़ता है।"
-"मगर खटा पाखाने की परम्परा तो ख़त्म हो गयी है...।"
-"गोरमेंट कहती रहती है मगर कई जगह तो यह काम चल रहा है अब भी। यह गोरमेंट की साजिश है हमारा काम ख़त्म करने की। हमारी तरक़्की के नाम पर हमारा ख़ानदानी काम गोरमेंट ख़त्म करती जा रही है।"
-"लेकिन यह तो तुम लोगों को शोषण से मुक्ति दिलाने की कोशिश है।"प्रश्नकर्ता की आंखों में चमक सहसा बढ़ गयी। उसे जो बाइट चाहिए थी यह उससे बेहतर थी। कैमरा लाजवंती पर जमा हुआ था। यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाली एक एनजीओ संस्था की ओर से हो रहा था।"
-"क्या तुम्हें बदबू से परेशानी नहीं होती? "
-"नहीं। मैं तो पाखाना बगल में पड़ा हो तो भी आराम से खाना खा सकती हूं। मुझे तो उन लोगों पर हंसी आती है जो पाखाने की बदबू से परेशान हो जाते हैं। अरे जब इतनी ही परेशानी है, तो अपने पेट में इसे लेकर कैसे घूमते फिरते हैं! मैं तो बचपन से ही पाखाने की सफ़ाई की अभ्यस्त हूं। मेरी मां को भी लोग अपने पाखाने की सफ़ाई के लिए बुलाकर ले जाते थे और वह हमारी कमाई का ज़रिया है। मैं भी इस काम में बचपन से लग गयी थी और देखो उसी की वज़ह से मुझे मुंशीपल्टी में नौकरी मिल गयी।"
लाजवंती के काम-काज व जीवन पर शूट चल रहा था। ख़ुद लाजवंती को नहीं पता था कि उसके साथ क्या हो रहा है, लेकिन वह दो दिन से पूरे मोहल्ले में चर्चा का विषय बन गयी थी। अपने मोहल्ले में सबसे खूबसूरत मानी जाने वाली लाजवंती को नगरपालिका वाले बाबू ने अपने कमरे में बुलाया था और अपने दफ़्तर में बैठे लोगों से परिचय कराया था, उनमें दो महिलाएं भी थीं-"लाजो.. यह लोग एक बहुत बड़ी संस्था से आये हैं। तुम्हारे काम-काज और जीवन पर एक टीवी प्रोग्राम बनायेंगे।"
-".साहब, उसमें क्या होगा.? "
-"क्या तुमने बिग बॉस प्रोग्राम देखा है..? "
-"नहीं।"
-"अब तुमको क्या समझायें। कितना पढ़ी हो? "
-"कक्षा आठ तक..।"
-"ठीक-ठीक है ठीक है, हम तुम्हारे बाबूजी को सब कुछ समझा देते हैं।"
और फिर लाजवंती के पिता को समझा दिया गया कि उसकी बेटी की जि़न्दगी अब बदलने वाली है। उसे भी और तुम्हें भी काफ़ी रुपये मिलेंगे। लाजवंती एक रियल्टी टीवी शो का हिस्सा बनने जा रही है। उसका बाप खुश था। बेटी की शादी के ख़र्च का इन्तज़ाम होने की उसे आशा बंध गयी थी। वह नगरपालिका में सफ़ाई विभाग में काम करता था। उसी की सिफ़ारिश पर दो माह पहले ही अठारह वर्षीय कुमारी लाजवंती को नगरपालिका के सफ़ाई विभाग में काम पर रख लिया गया था और वह खटा पाखाने विभाग में फि़लहाल बाहर खाता में काम करने लगी थी और यह आश्वासन भी मिला था कि जल्द ही कुमारी लाजवंती की नौकरी परमानेंट हो जायेगी। अब साल-दो साल तो बाहरखाता में काम करना ही पड़ेगा।
अब लाजवंती दो दिन से क़ैमरे का सामना कर रही थी। उससे तरह-तरह के सवाल किये जा रहे थे, जिसके ज़वाब उसे अपने मन से देने थे। लाजवंती को पहले तो झिझक हुई फिर जब मोहल्ले के लोग उसे विशेष महत्त्व देने लगे और उसके दरवाज़े पर भीड़ लग गयी तो उसे ज़वाब देने में मज़ा आने लगा। उसने तो बेझिझक यह भी कह दिया कि वह पाखाने की गंध के आधार पर यह भी बता सकती है कि वह बच्चे का है या बड़े का। वह स्वस्थ व्यक्ति का है या किसी बीमार का। आदमी चाहे तो पाखाने की गंध का स्वाद ग्रंथियों से सम्बंध टूट सकता है और फिर गंध प्रिय या अप्रिय नहीं रह जायेगी। अभ्यास से गंध एक गंध भर बनकर रह जाती है। जिसकी विशेषताएं और अन्तर सूंघने वाला बता या समझा सकता है, उसे प्रिय या अप्रिय की सरणियों से बाहर रखकर। हालांकि भंगियों की बस्ती में कई ऐसे लोग भी हैं जिनकी सूंघने की क्षमता खो जाती है और वे किसी भी गंध को महसूस नहीं कर पाते। कुछ लोग कहते हैं कि यह एक बीमारी है किन्तु यह मैले की साफ़-सफ़ाई से जुड़े व्यक्ति के लिए वरदान साबित होती है। कुछ ऐसे भी हैं जो गंध से तालमेल नहीं बिठा पाते तो नशे का सहारा लेते हैं। यह ज़रूर है कि दुनिया की गंदगी साफ़ करते-करते वे गंदगी से बेपरवाह हो जाते हैं और थोड़ी बहुत गंदगी उन्हें गंदगी ही नहीं लगती। उन्हें तो लगता है कि उनकी बस्ती साफ़ सुथरी है लेकिन बाहर वालों को उसमें खामियां ही नजऱ आती हैं और कहते हैं कि वे अपनी बस्ती को साफ़ नहीं रखते।
लाजवंती का उस लड़की से बात करने का खूब मन करने लगा जो जो जीन्स पहने हुए थी। उसके सवाल इतनी उत्सुकता भरे थे कि उसका ज़वाब देने में उसे अजब का संतोष मिला। उसे पहली बार लगा कि कोई उसकी जि़न्दगी के बारे में इतने विस्तार, इतमीनान और दिलचस्पी से पूछ रहा है वरना उनके सुख-दु:ख को कौन गंभीरता से लेता है! कौन पूछता है कि तुम इतनी दुर्गंध मारती बस्ती में कैसे रहती हो? कौन पूछता है कि तुम्हारे सपने क्या हैं?
उसका पहनावा देख लाजवंती के मन में भी जीन्स पहनने की इच्छा जगी थी। अपने सपनों के बारे में बात करते हुए उसने जीन्स पहनने की इच्छा भी ज़ाहिर की थी। तीसरे ही दिन लाजवंती मुंबई के लिए रवाना हो गयी। मोहल्ले में विशेष चर्चा थी। लाजवंती हवाई जहाज से मुंबई ले जायी गयी है। अख़बारों में ख़बर थी एक विशेष रियल्टी शो के लिए मैला ढोने वाली कुमारी लाजवंती का चयन हुआ है। अगर वह चयनकर्ताओं के सांचे में ढल पायी तो न्यूयार्क में एक अंतर्राष्ट्रीय शो में भाग लेगी और जीत गयी तो मालामाल हो जायेगी।
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लाजवंती का यह पांचवां महीना था। लगातार व्यस्त जिन्दगी रही पिछले दिनों। मुंबई पहुंचने के बाद उसे आधुनिक जीवन के तमाम तौर-तरीक़े सिखाये गये। कैसे कांटे-चम्मच से प्लेट में खाना है। कैसे पानी पीना है। वह लेटेस्ट डिजाइन के कपड़े पहनने लगी थी और उनके अजीबोगऱीब नाम भी याद हो गये थे। उसे अच्छी हिन्दी ही नहीं सिखायी गयी बल्कि़ वह अंग्रेज़ी बोलना भी सीख गयी थी क्योंकि उसके साथ कई और लड़कियां भी थीं जिनसे केवल अंग्रेज़ी में ही बातचीत करने की इज़ाजत थी। अन्य लड़कियां देश के अलग-अलग क्षेत्रों से लाई गयी थीं और उन्हें भी वही प्रशिक्षण दिया जा रहा था जो उसे। उन्हें कोरियोग्राफऱ ने चलना सिखाया। कैसे हंसना है, कैसे कितनी तेज़ आवाज़ में बात करनी है, यह भी उसके प्रशिक्षण का हिस्सा रहा। उसके बाल सलीके से कटवाये गये। वह पिछले महीनों लगातार एसी में रह रही थी और एसी कारों में सफऱ करती थी। मुलायम बिस्तरों पर सोती। अब वह ऐसी अवस्था में पहुंच चुकी थी जहां पिछली जि़न्दगी दु:स्वप्न से कुछ अधिक नहीं लगती थी। वह चाहती थी कि यह सपने जैसी लगती जि़न्दगी हमेशा बनी रहे। फिर भी कभी उसके घर से फ़ोन आता तो उसका अतीत उसके सामने आ जाता जिससे वह वास्ता नहीं रखता चाहती थी। हालांकि वह एक बार वहां ज़रूर लौटना चाहती थी यह दिखाने के लिए कि वह क्या थी और अब क्या हो गयी है। फि़लहाल तो वह उस अनजान लक्ष्य को पाने की ओर बढ़ रही थी जिसके बारे में उसे कुछ भी पता नहीं था कि उसका क्या होने वाला है? यह जो लाखों रुपये उस पर ख़र्च किये जा रहे हैं उसकी भरपायी वह कैसे करेगी? उसे बस इतना पता है कि उससे कुछ कुछ दिनों के अन्तराल में एक टीवी इंटरव्यू लिया जाता है कि अब वह कैसा महसूस करती है। अपनी जिन्दगी के तौर तरीकों में आये बदलावों के बारे में उसे तफसील से बताना पड़ता था और यह उसे अच्छा लगता था। उसके मन में क्या चल रहा है और क्या महसूस कर रही है सच कहा जाये तो उसे तब ही पता चलता जब वह स्वयं उस इंटरव्यू में कहती। रोज़ बदलती जि़न्दगी के बीच उसे टीवी साक्षात्कारों का भी इन्तज़ार रहता। उसे लगता कोई है जो उसकी जि़न्दगी के बारे में गंभीर है और क्या चल रहा है जानना चाहता है। उसके पास बताने के हर बार कई नयी बातें और नये अनुभव होते। वह टीवी कैमरे के सामने नये नये कपड़ों और लहज़े में पोज देती। उसके कुछ ऐसे भी सवाल पूछे जाते जिनका उसकी जि़न्दगी से कोई सम्बंध नहीं था किन्तु उसकी समझने की क़ाबीलियत जांची-परखी जाती थी और हर इंटरव्यू अन्त मैं उसे कहना पड़ता था कि मुझे जिताने के लिए एसएमएस के ज़रिए वोट दें। उसे बताया गया कि जहां वह रखी गयी है वहां चारों तरफ़ कैमरे लगे हैं और वह जो भी बातचीत करती है वह देश भर के लोग देख सुन रहे हैं। धीरे-धीरे परिसर में रह रही युवतियों की संख्या कम होती जा रही थी। जो विदा होता था वह सबसे मिलकर खूब रोता था। उसके मन में भी यह भल लगातार बना रहता था कि वह इस रहस्यमय खेल से आउट न हो जाये क्योंकि वह पिछली जि़न्दगी में नहीं लौटना चाहती थी। उसके लिए जीत कोई माने नहीं रखती थी किन्तु वह हारकर इस सुखद माहौल से बाहर नहीं निकलता चाहती थी। और अन्त में उसे बताया गया कि वह यह रियल्टी शो जीत गयी है।
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कुमारी लाजवंती अब न्यूयार्क में थी। उसे यहां आकर पता चला कि दुनिया के नामचीन कोरियोग्राफर उसे प्रशिक्षण दे रहे हैं और उसके साथ रैम्प पर दुनिया भर की फ़ैशन की दुनिया की हस्तियां होंगी। उनमें से कुछ तो अभ्यास के दौरान उनके साथ होतीं। उसे उनके बीच क़त्तई नहीं लगा कि वह उनसे किसी मामले में कमतर है। उसे यह इज़ाजत नहीं थी कि उनके सामने अपने दिल की बात करे या अपनी निजी जिन्दगी के बारे में कोई बात करे। उसे बस इतना ही बताना था कि वह इंडिया से है। बाक़ी निजी सवालों के ज़वाब उसे टाल जाना था अलबत्ता सामान्य देश-दुनिया की जितनी बातें करनी हों, वह कर सकती थी। वह इतना जान चुकी थी कि यह वे लोग हैं जो दुनिया भर में पहले से ही मशहूर हैं क्योंकि उनकी तस्वीरें और इंटरव्यू अख़बारों में उसने देखा था।
उसे बताया गया कि अमुक तिथि को अमुक बजे उसका टीवी पर लाइव शो आने वाला है, जो पूरी दुनिया में एक साथ प्रसारित होगा। जिसके प्रसारण का अधिकार एक सौन्दर्य प्रसाधन व फैशन के उत्पादों से जुड़ी एक कम्पनी ने लिया है जिसका अपना टीवी चैनल भी है। लाजवंती ने अपने घर भी फ़ोन कर दिया था कि वे लोग उस कार्यक्रम को देखें कि उनकी लाजवंती क्या से क्या बन गयी है!
और वह शुरू भी हुआ तय समय पर। उसकी उपलब्धियों का सीधा प्रसारण हो रहा है यह जानकर उसमें एक रोमांच पैदा हुआ। इस कार्यक्रम के लिए पूरी दुनिया से न्यूयार्क पहुंचे थे सेलिब्रिटी। जिनके साथ उसने हाथ मिलाया। हाय-हैलो की। दावत का आनंद लिया। वह पूरे कार्यक्रम के केन्द्र में वह थी। यह अपनी तरह का सबसे बड़ा रियल्टी शो था, जो सोशल काज और नारी उत्थान से जुड़ा था। कार्यक्रम में दुनिया के कई विख्यात लोगों ने उससे हाथ मिलाया। कुछ के वह गले मिली। कुछ को उसने चुम्बन दिये। उसने दुनिया के विख्यात माडलों के साथ रैम्प पर कैट वाक किया।
और फिर मंच से घोषणा की गयी कि इस साल की वह विशेष महिला वह चुनी गयी है, जो वास्तविक जि़न्दगी में नारी उत्थान की प्रतीक है। तालियों की गूंज के बीच उसे मंच पर बुलाया गया। उसे हीरा जड़ित मुकुट पहनाया गया। एक देश ने उसे अपने देश की मानद नागरिकता दी। कुछ बड़े फिल्म डॉयरेक्टरों ने उसे अपनी-अपनी फि़ल्म में हिरोइन लेने की घोषणा की। एक अन्तर्राष्ट्रीय संस्था ने उसे ब्रांड एम्बेसडर घोषित किया। उसकी स्पीच हुई और उसने संक्षिप्त से अपने भाषण में आयोजकों का आभार माना कि उसके विकास का उन्होंने समुचित अवसर दिया, वह बहुत मामूली परिवार से है। बोलते समय उसकी आंखों में खुशी के आंसू थे। उसे लग रहा था कि वह जागी आंखों से एक ख़्वाब देख रही है। वह जि़न्दगी में वह सब पान में क़ामयाब हो गयी है जिसे कोई भी स्त्री पाना चाहे। उसकी स्पीच के बाद घोषणा की गयी-"यह जो नारित्व के तमाम गुणों से लैस नारी है, उसके जीवन-संघर्ष को व्यक्त करने वाली एक छोटी सी फि़ल्म अब दिखायी जायेगी।"
हाल की बत्तियां गुल कर दी गयीं और अब बड़े से स्क्रीन पर दिखायी दे रही थी सर पर खटा पाखाने का मैला सिर पर रखे मुस्कराती हुई चल रही कुमार लाजवंती। यह बताती लाजवंती कि वह बदबू की परवाह किये बिना आराम से खाना खा सकती है। वह लाजवंती, जिसे हिन्दी भी सही ढंग से बोलनी नहीं आती। वह लाजवंती जिसे चलना और खाना-पीना तक सिखाया जा रहा है। वह रैम्प पर कैटवाक सीख रही है। वह लाजवंती, जो कह रही है कि अब वह अपना नाम बदलना चाहती है और वह अपना नाम रखेगी 'कुला'। लाजवंती जैसे पहाड़ से गिरी। हाल में चल रहे पचासों एसी के बावज़ूद वह एकाएक पसीने से तरबतर हो उठी। फिर एकाएक हाथ पैर ठंडे होने लगे। हाल की बत्तियां फिर जल उठीं, इस घोषणा के साथ कि लाजवंती जैसी दीन हीन और जहालत की जि़न्दगी जी रही औरतों के जीवन के उत्थान के लिए महिला विकास जुड़ी संस्था को संयुक्त राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। कार्यक्रम आयोजित करने वाली संस्था के सदस्य हवा में हाथ लहरा रहे थे, अपने पराक्रम पर। उनमें से एक ने लाजवंती के जीवन में हुए परिवर्तनों पर कहा कि उन्होंने एक औरत की जि़न्दगी बदल दी है। उसे नयी पहचान दी है। 'कुमारी लाजवंती' से 'कुला' बनाकर। कार्यक्रम ख़त्म हुआ तो लोग उसके हाथ मिलते हुए झिझक रहे थे..शायद उसके अतीत को जानकर। इधर लाजवंती को पहली बार एक तेज़ दुर्गन्ध आती महसूस हुई। लगा उसका सिर चकरा रहा है उस दुर्गन्ध से। हर और पाखाने की तीखी दुर्गन्ध। पहली बार उसे दुर्गन्ध से उबकाई जैसी आने लगी। वह तेज़ी से वाशरूम की तरफ़ बढ़ गयी। तबीयत नहीं सम्भली को वह होटल में अपने कमरे में चली गयी। कपड़े बदले और लेट गयी। एकाएक उसने टीवी चालू कर दिया। देखा टीवी पर यह बताया जा रहा था कि कुला के व्यक्तित्व के विकास पर दो करोड़ रुपये ख़र्च हुए हैं। यह आंकड़े भी दिये जा रहे थे कि उसकी हंसी पर कितने रुपये ख़र्च हुए और उसकी चलने के तरीक़े पर कितना ख़र्च हुआ है।
कुछ घंटे बाद उस तीस मंजि़ला होटल के बाहर पुलिस वैन खड़ी थी और एक लाश का पंचनामा हो रहा था। अगले दिन के अख़बारों के मुखपृष्ठ पर खटा पाखाना साफ़ करने वाली एक नारी के विकास के किस्से थे और किसी कोने में उसी होटल से कूदकर एक महिला की खुदकुशी की भी ख़बर थी। जिसका चेहरा ऊंचाई से गिरने के कारण विकृत हो गया था और पहचान में नहीं आ रहा था।
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विभिन्न टीवी चैनलों पर कुला की जिन्दगी के उत्थान का रियल्टी शो आते रहे। मैला फेंकने से पेज थ्री की दुनिया में प्रवेश की दास्तां उसमें दिखायी गयी। हालांकि कुला की मौत को लेकर भी ख़बरें टीवी और अख़बारों में छायी रहीं और अटकलबाजियों का दौर चलता रहा कि मौत की वज़हें क्या हैं। एक मीडिया हाउस का कहना था कि वह बेशुमार शोहरत हज़म न पायी और दिमाग़ी संतुलन बिगड़ गया जिसके कारण वह होटल की तीसवीं मंजिल से गिर पड़ी।
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प्रतिक्रियाएं-साभारः पाखी, फरवरी 2011
अभिज्ञात की कहानी 'एक जीवन का उत्कर्ष' आध्ुनिक समाज के एक विशेष पहलू को दर्शाती है।
सुनील कुमार शर्मा, दिल्ली
नवंबर अंक में लताश्री और अभिज्ञात की कहानी कापफी अच्छी लगी।
आदर्श अनिकेत, देहरादून, उत्तराखण्ड
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1 टिप्पणी:
ीआज के रियल्टी शो का सच ब्याँ करती सुन्दर कहानी। बहुत बहुत बधाई।
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