3/25/2012

साकार होने जा रहा है पेंटर से फिल्मकार बने समीर बनर्जी का सपना

पेंटर से फिल्मका बने समीर बनर्जी का फुल लेंथ फीचर फिल्म बनाने का सपना अब साकार होने जा रहा है। उनकी पहली फिल्म 'एक्सपोर्ट: मिथ्या किन्तु सत्य' की शूटिंग लगभग पूरी हो चुकी है। इस फिल्म को लेकर वे खासे उत्साहित हैं क्योंकि इसकी कहानी, पटकथा और निर्देशन उन्हीं का है। यह फिल्म भ्रूण की तस्करी पर है जो फिल्म्स बी आइडियल के बैनर तल बन रही है। फिल्म के निर्माता प्रसन्न कुमार राय हैं।समीर बनर्जी ने रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय से फाइन आट्र्स में आनर्स किया है। कुछेक सामूहिक कला प्रदर्शनियों में भाग भी लिया है। आइंस्टीन की फिल्म सेंस पर किताब और सत्यजित राय की फिल्में 'पथेर पांचाली' और 'अशानि संकेत' देखने के बाद उन्हें लगा कि फिल्म की दुनिया उनकी रुचि की है और वह उन्हें पुकार रही है। आम जिन्दगी के यथार्थ को पूरी शिद्दत के साथ व्यक्त कर सकता है तो वह सिनेमा का माध्यम ही है। उन्होंने सुकुमार राय के नाटक 'अवाक जलपानीÓ पर शार्ट फिल्म बनाने की योजना बनायी लेकिन कोई प्रोड्यूसर नहीं मिल रहा था। उन्होंने नाटक के घटनाक्रम को व्यक्त करने वाले 300 स्केच बनाये। फिर कलाकारों को लोकेशन पर ले जाकर स्टिल शाट शूट किये। उन्हें फिल्मकार मृणाल सेन को दिखाया। उन्होंने प्रशंसा की और सुझाव दिया कि वाइस ओवर करके उसे बच्चों के लिए शार्ट फिल्म बनायें। चूंकि नाटक सत्यजित राय के पिता का था, सो सत्यजित राय को भी अपना कार्य दिखाया। उनसे मिली तारीफ के बाद दूरदर्शन के प्रोड्यूसर अभिजीत दासगुप्ता से मिले। अंतत: उन्होंने वाइसओवर दिया और 12 मिनट की शार्ट फिल्म बनी। यह फिल्म लगभग 10 बार कलकत्ता दूरदर्शन पर दिखायी गयी। इसके बाद उन्होंने कई डाक्यूमेंट्री फिल्में बनायीं जिसमें फिल्म निर्देशक तपन सिन्हा पर बनी फिल्म 'ए नोबल क्रिएटर' न रवीन्द्रनाथ टैगोर के जीवन में आयी महिलाओं पर अमिताभ चौधरी के लेख 'रवि अनुरागिनी' पर आधारित अंग्रेजी डाक्यूमेंट्री फिल्म 'दोज हू एडोर्ड टैगोर' विशेष उल्लेखनीय हैं।समीर कविताओं में गहरी दिलचस्पी रखते हैं और बंगला के चार शीर्ष कवियों पर 22-22 मिनट की शार्ट फिल्में बनायी हैं जिनमें सुभाष मुखोपाध्याय, सुनील गंगोपाध्याय, विष्णु दे और व्रत चक्रवर्ती शामिल हैं। इन फिल्मों में संगीत दिया है बी बलसारा ने। अपनी फिल्म एक्सपोर्ट 'एक्सपोर्ट: मिथ्या किन्तु सत्य' में भी उन्होंने कविताओं का प्रयोग किया है एवं हिन्दी कवि अभिज्ञात तथा बंगला कवि पुलक दे इसमें अपनी कविताएं पढ़ते स्वयं दिखायी देंगे।

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