पुस्तकों का प्रकाशन विवरण
- लेखकों के पत्र
- कहानी
- तीसरी बीवी
- कला बाज़ार
- दी हुई नींद
- वह हथेली
- अनचाहे दरवाज़े पर
- आवारा हवाओं के ख़िलाफ चुपचाप
- सरापता हूं
- भग्न नीड़ के आर पार
- एक अदहन हमारे अन्दर
- खुशी ठहरती है कितनी देर
- मनुष्य और मत्स्यकन्या
- बीसवीं सदी की आख़िरी दहाई
- कुछ दुःख, कुछ चुप्पियां
- टिप टिप बरसा पानी
- मुझे विपुला नहीं बनना
- ज़रा सा नास्टेल्जिया
- कालजयी कहानियांः ममता कालिया
- कालजयी कहानियांः मृदुला गर्ग
8/17/2012
नागार्जुन ने किया था अभिज्ञात के सरापता हूं काव्य संग्रह का लोकार्पण
अभिज्ञात के काव्य संग्रह 'सरापता हूं' का लोकार्पण नागार्जुन ने किया था। कार्यक्रम की तस्वीरें स्पष्ट नहीं आयी थीं। कार्यक्रम में बाएं से पत्रकार गीतेश शर्मा, भारतीय भाषा परिषद के तत्कालीन निदेशक एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.बालशौरि रेड्डी, नागार्जुन, अभिज्ञात, कवि ध्रुवदेव मिश्र पाषाण, कथाकार अवधनारायण सिंह, आलोचक शंभुनाथ। इनके अलावा कवि सकलदीप सिंह एवं कवियत्री कुसुम जैन ने भी सम्बोधित किया था। कार्यक्रम कोलकाता में जनसंसार कार्यालय में हुआ था। इस समारोह में नागार्जुन ने अभिज्ञात के सम्बंध में कहा था- 'इस युवा कवि में इतनी अधिक ऊर्जा है कि यह हम सबको धकिया कर आगे निकल जायेगा।'
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