8/20/2012

बाबा नागार्जुन के साथ


कवि-कथाकार बाबा नागार्जुन के सान्निध्य में कुछ अरसे तक समय बिताने का अवसर मुझे भी मिला था। मेरे तीसरे काव्य संग्रह 'सरापता हूं ' का लोकार्पण उन्होंने किया था। मेरे संयोजन में राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार समारोह में भी वे आये थे। मेरे घर टीटागढ़ आकर दो सप्ताह रहने की योजना भी उन्होंने बनायी थी जो मेरी टालमटोल के कारण रद्द हुई। बाबा ने मेरी एक बात से नाराज होकर मुझे गीतेश शर्मा के जनसंसार कार्यालय में पीटा भी था। बाबा ने मुझे छंदबद्ध कविता की नसीहत दी तो उन पर मैंने एक कविता भी लिखी थी-तेरह और उन्नीस का कठिनतम पहाड़ा है बाबा का नाड़ा है बाबा का नाड़ा है। यह तस्वीर उन्हीं दिनों की है। साथ हैं मेरे प्रिय कवि मित्र स्वर्गीय सकलदीप सिंह एवं लेखिका मंजु अस्मिता।

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