हमने सिखलायी सुल्तानी
दुनिया भर के सुल्तानों को l
क्या जुगनू ताना मारेगा
हम सूरज की संतानों कोl
नहीं किसी से बैर हमारा
सबसे यारी करते हैंl
उनको भी समझाते रहते
जो गद्दारी करते हैंl
दांत बाघ के गिनने वाले
भरत हमारी नस-नस मेंl
महावीर और बुद्ध हमारे
करें इंद्रियों को वश मेंl
पत्थर को दर्जा दिया वही
जो देते हैं भगवानों को ।
एकसूत्रता क्या होती है
भारत यह दिखलाता है।
इंद्रधनुष कैसे बनता है
यह सबको सिखलाता है।
कितने मजहब कितनी बोली
से भरी हुई अपनी झोली।
हां, एक राग में गाती है
ये है मस्तानों की टोली।
जो योद्धाओं का दर्जा है
वही देते आये किसानों को।
3 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 27 जनवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
हमने सिखलायी सुल्तानी
दुनिया भर के सुल्तानों को
क्या जुगनू ताना मारेगा
हम सूरज की संतानों को
सुरुवाती मुखड़े में क्या पंच मारा डा साब , शानदार जानदार
वाह!खूबसूरत सृजन ।
एक टिप्पणी भेजें