पुस्तकों का प्रकाशन विवरण
- लेखकों के पत्र
- कहानी
- तीसरी बीवी
- कला बाज़ार
- दी हुई नींद
- वह हथेली
- अनचाहे दरवाज़े पर
- आवारा हवाओं के ख़िलाफ चुपचाप
- सरापता हूं
- भग्न नीड़ के आर पार
- एक अदहन हमारे अन्दर
- खुशी ठहरती है कितनी देर
- मनुष्य और मत्स्यकन्या
- बीसवीं सदी की आख़िरी दहाई
- कुछ दुःख, कुछ चुप्पियां
- टिप टिप बरसा पानी
- मुझे विपुला नहीं बनना
- ज़रा सा नास्टेल्जिया
- कालजयी कहानियांः ममता कालिया
- कालजयी कहानियांः मृदुला गर्ग
3/21/2023
इस महत्वपूर्ण ग्रंथ में मेरी छोटी सी भूमिका भी
इस काव्य-कृति में रामकथा के सुंदरकाण्ड का घटनाक्रम या कथानक का सिलसिलेवार वर्णन भर नहीं है और ना ही केवल लंकापुरी के वैभव का चित्रण बल्कि, इसकी हर चौथी-छठवीं पंक्ति कथासूत्र के सहारे गहरे निहितार्थों की ओर पाठकों को ले जाती है। सूत्र वाक्यों में जीवन के ऐसे गहन संदेश हैं, जो आज के लोगों के लिए बेहद प्रासंगिक हैं। इस कृति में कई ऐसे प्रस्थान बिन्दु हैं, जहां भारतीय जीवन दर्शन की गहनता का अनुभव प्राप्त किया जा सकता है। जगह-जगह ऐसी सूक्तियां हैं, जिनमें उदात्त जीवन के मंत्र निहित हैं। इस कृति की विशेषता यह भी है कि इसमें इकहरापन या एकांगिता नहीं है। रामकथा के खलनायक रावण के व्यक्तित्व के वर्णन में केवल उसकी कमियों का उल्लेख नहीं है, बल्कि यह बताया गया है कि कई उपलब्धियों के बावजूद क्यों उसके विराट् व्यक्तित्व का ह्रास हुआ। इस काव्य-कृति में कई ऐसे स्थल हैं जहां आचार-व्यवहार में मर्यादाओं पर विशेष जोर दिया गया है, चाहे वह सीता जी के संदर्भ में आया हो या रावण दरबार में विभीषण के परामर्श और उसके पालन के संदर्भ में। विश्वास है इस कृति को पढ़ते हुए रामकथा के कुछ अनउद्घाटित पहलुओं का संज्ञान पाठकों को मिलेगा। –डॉ.अभिज्ञात
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