11/15/2014

'कैसे बोलीं तू रह जा, कैसे बोलीं तू ना जा'

हालैंड में बसे प्रख्यात सरनामी गायक, संगीतकार व गीतकार राज मोहन से डॉ.अभिज्ञात की बातचीत

प्रश्न: संगीत की दुनिया में अपने सफर के बारे में बतायें? कौन-कौन से एलबम निकले हैं..?
उत्तर: मैंने 1998 मुंबई में गीतों गज़लों का एलबम बनाया था 'काले बादल़'। उसमें मैंने उर्दू गज़लें गायी थीं जिसके संगीतकार रईस भरतिया थे.. एलबम में फिल्म इंडस्ट्री के शीर्ष वादक थे। यह एलबम यूरोप में लांच किया। उसके बाद भजन का एलबम अनूप जलोटा के साथ रिकार्ड किया-'कृष्ण मुरारी मेरे'। फिर गीत गजलनुमा एलबम लांच किया... भोजपुरी लोक गीतों का, जिसे हम सुरीनाम में बैठक गाना कहते हैं...
प्रश्न : इसकी भाव भूमि क्या थी?
उत्तर: वहां भोजपुरी के मौजूदा स्वरूप को सरनामी कहते हैं। तो सरनामी में ऐसा दौर आया कि हालैंड व सूरीनाम में.. जहां मैं अभी हूं और जहां मेरी पैदाइश हुई ..अश्लीलता का दौर आ गया.. भोजपुरी बदनाम होने लगी..गीत अश्लील हो रहे थे. यह विजुअल स्तर पर कम था उसके बोल और निहितार्थ में अश्लीलता थी। यह मूल ट्रेंड बनने लगा तो मुझमें बेचैनी थी कैसे इसे बदला जाये..जिस तरह भारत में लोकगीतों के साथ साथ आधुनिक या समकालीन संगीत है..गीत गज़लनुमा है मैंने दोनों का मिश्रण किया और कंटेंपररी संगीत का प्रयोग कर उसे बदलने का प्रयास किया..मैं यह इसलिए भी कर सका क्योंकि मैं खुद गीत भी लिखता हूं.गाता हूं और संगीत भी तैयार करता हूं..मैंने उसे सरनामी का कंटेम्पररी म्यूजिक नाम दिया। कंटेंपररी म्यूजिक के मैंने तीन एलबम रिलीज किये ..पहला तो कंत्राकी था..
प्रश्न: क्या कंत्राकी नाम अजीब नहीं है..क्या अर्थ है...
उत्तर: कांट्रैक्ट शब्द से कंत्राकी शब्द बनाया..चूंकि हमारे पूर्वज कांट्रैक्चुअल लेबर्स थे..मैंने इसी इतिहास पर गीत लिखा..हमारे पूर्वज उत्तर प्रदेश और बिहार से 1873 में सुरीनाम ले जाये गये थे..हालैंड की सरकार थी.. डच राज था सुरीनाम में.. वे हमारे पूर्वजों को भारत से ले गये थे..हालैंड की सरकार भारत से मजदूरों को पांच साल के लिए सुरीनाम ले गयी थी..भारतीय पैसा कमाने बाद में वे वहीं रह गये.. यह कथा है गाने में है..2005 में मैंने यह एलबम बनारस में रिकार्ड किया क्योंकि मैं चाहता था कि यह एलबम उसी अंचल में बने, मतलब यूपी-बिहार में .. जहां से हमारे पूर्वज गये थे...उस एलबम को एक डच रिकार्ड कम्पनी ने लांच किया है..अमरीका, यूके और यूरोप में वह एलबम आपको मिलेगा..कंत्राकी में 9 गाने हैं और कुछ कविताएं हैं..उसके बाद गीत गजलनुमा कंटेम्पररी म्यूजिक का एलबम 2011 में बड़े पैमाने पर लांच किया उसका नाम है 'दायरा'। वह पॉप और थोड़ा सा रॉक भी है.गीत की भाषा सरनामी है..उसका वीडियो शूट बाम्बे में किया गया है। पिछले साल हमने लांच किया 'दुई मुट्ठी'। इसमें फिर मैंने अपने पूर्वजों के इतिहास पर गाया है..
प्रश्न: अपनी कविताओं और गीत लेखन के बारे में और बतायें..
उत्तर: कविताओं और गीतों की दो पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं..जिसे हालैंड में डच पब्लिशर ने प्रकाशित किया है.. यह दोनों सरनामी में हैं  उनका डच अनुवाद भी साथ प्रकाशित है। वेपंजाबी और हिन्दी में भी प्रकाशित हुए हैं..।
प्रश्न:आपका मुख्य पेशा क्या है?
उत्तर : गायक हूं कम्पोजर-अरेंजर हूं, गीत लिखता हूं 25 साल से सरानामी और हिन्दी का गायक-गीतकार हूं ..मैं अंग्रेजी में यह सब कर सकता हूं पर नहीं करता.. हम क्यों करें..अगर हम भी अंग्रेजी में करें क्योंकि सरनामी और भोजपुरी में तो अंग्रेज करेंगे नहीं .मैं यूरोपीय देशों में पॉप कंसोर्ट के लिए जाता हूं  गीत-गजलनुमा या लोकगीत गाता हूं.. यह इस पर निर्भर करता है कि आयोजक मुझसे क्या चाहते हैं...इंटरनेशनल जॉज फेस्टिवल में मैं भाग लेता हूं..फ्रांस..में फ्रैंच गुआना, हालैंड, भारत और सुरीनाम में पॉप कंसर्ट किया है मेरे संगीत में वेस्टर्न भी शामिल है.. मैं कंटेंपररी सरनामी कलाकार हूं..मैं कंटेंपररी को जरूरी समझता हूं.. कल्चर में कोई बाउंड्री नहीं है..सब डेवलप होता जाता है...
प्रश्न : भारत में भोजपुरी की भावभूमि देहात है..आपके गीतों का सब्जेक्ट मैटर सुरीनाम या हालैंड का मौजूदा समाज है या भारत का देहात?
उत्तर : मेरे गीतों में वहां की स्थिति है वहां के सब्जेक्ट हैं। यहां जो विदाई गीत हैं वह भी लिखता हूं शादी वहां भी वैसी ही होती है जैसे यहां.. आखिरी संस्कार पर भी मैंने गीत लिखा है वह यूनिवर्सल है। एक गाना लिखा है.. यहां वह दौर नहीं है पूरे भारत में नहीं है शायद मुंबई वगैरह में होगा.. प्लास्टिक सर्जरी पर। लोग जवान दिखना चाहते हैं अपनी बाडी को रेनोवेट करते हैं.वेस्ट में यह आम बात है खास तौर पर महिलाएं..मैंने उस हालात पर हल्का फुल्का गीत लिखा है- 'तोहार जवानियां हो गइल पुरान अब तू का करिये..'
प्रश्न:सुरीनाम के प्रमुख गायक?
उत्तर: सुरीनाम के प्रमुख गायक रामदेव चैतू हैं..कई और हैं पर रामदेव चैतू सबसे बड़े गायक हैं
प्रश्न: यहां के कौन से कलाकार वहां हिट हैं..
उत्तर: भारत में जो गायक चर्चित होते हैं वहां भी साथ साथ हिट हो जाते हैं रफी, केएल सहगल से अरिजीत सिंह सब लोगों की जुबान पर हैं।
प्रश्न : भोजपुरी वाले
उत्तर: भोजपुरी के गायक वहां कम आते हैं मालिनी अवस्थी ने उधर कई प्रोग्राम किये हैं उनका नाम है। 
प्रश्न: वहां का भोजपुरी समाज कितना बड़ा है?
उत्तर: डेढ़ लाख लोगों का। सुरीनाम में डेढ़ लाख और लगभग उतने ही हालैंड में। ..मैं 1994 में सुरीनाम से हालैंड या नीदरलैंड में शिफ्ट हो गया म्यूजिक स्टड़ी की एम्सटर्डम से की।
प्रश्न: डेढ़ सौ साल पहले जो लोग भारत से गये थे उनमें से कोई वापस नहीं लौटा.. रहने के लिए नहीं आया?
उत्तर: ऐसा नहीं है कि भारत हमको वापस नहीं खींचता ..खींचता है लेकिन लोगों ने वहीं घर-गृहस्थी बसा ली है.. काम-धंधा कर लिया है। हालांकि सभी परिवार के पूर्वज कहां-कहां के हैं वहां की सरकारी फाइलों में रिकार्ड है। लोगों को भी इसकी जानकारी है। मेरी मां के दादा ब्रह्मदेव जी सारण जिले के मंगलपुर गांव के थे..मैं जाऊंगा उस गांव। कई लोग अपने पूर्वजों के गांव गये हैं..उनके रिश्तेदार भी मिले हैं। हम जहां रह रहे हैं चाहते हैं कि अपनी मूल मिट्टी से लगाव बना रहे और अपनी भाषा और संस्कृति की महक बची रहे।
प्रश्न: सरनामी और भोजपुरी से अपने रिश्ते के बारे में बतायें?
उत्तर: सुरीनाम की भोजपुरी में डच मिश्रित हो गयी है। वहां सबकी पढ़ाई-लिखायी डच में होती है.क्योंकि वहां हालैंड का राज था लोकल भाषा के मिक्स होने से बनी सरनामी में आप कितने सुंदर लगते हो का सुंदर डच भाषा से आये शब्द मोई में बदल गया है अब हम कहते हैं-तू केतना मोई लगै है.. मोई हमारी भोजपुरी या सरनामी का हिस्सा हो गया है...डच व भोजपुरी की मिश्रित भाषा है सरनामी..लिपि देवनागरी नहीं रोमन है।
प्रश्न :आपका वास्तविक नाम और सरनेम क्या है?
उत्तर: मेरा नाम राज है ..सरनेम मोहन है..हमारे पूर्वज जो नाम लेकर गये थे यहां से.. 1930 में नाम का रजिस्ट्रेशन करते समय अधिकतर ने नाम बदल दिया..उसमें मेरे पिता भी थे। मेरे दादा जी का नाम है मोहन हरदीन। लेकिन मेरे पिता ने दादा जी का सरनेम छोड़कर उनके नाम मोहन को सरनेम बना लिया। इस प्रकार मेरा नाम राज मोहन है। इसी प्रकार वहां कई लोगों ने सरनेम बदला और जैसा चाहा रजिस्ट्रेशन कराया। हालांकि वास्तविक नाम भी उनके परिवार वालों को पता है।
प्रश्न: आप अपने आप को क्या कहलाना पसंद करते हैं?
उत्तर: मैं बेसिकली गजल सिंगर हूं..
प्रश्न: अगर मैं आपका कोई एक ही ही गीत सुनना चाहूं तो क्या सुनाना पसंद करेंगे..मेरा सरनामी पॉप सांग है-
'कैसे बोलीं तू रह जा
कैसे बोलीं तू ना जा
रोज हम तोके लोरी सुनावे
नवा नवा रोज गीत हम गावे
तू बादर में ऊ सितारा बाटे
कैसे बोलीं तू रह जा
कैसे बोलीं तू ना जा॥'

हालैण्ड के सरनामी-भोजपुरी गायक, संगीतकार व गीतकार राज मोहन से लेखक-पत्रकार डॉ.अभिज्ञात की मुलाकात


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