1/01/2009

हंगामेदार रहा अभिज्ञात और शर्मिला बोहरा जालान का कहानी पाठ


कोलकाता के भारतीय भाषा परिषद की ओर से 28 दिसम्बर को आयोजित रचना गोष्ठी में दो सशक्त युवा कथाकारों अभिज्ञात और शर्मिला बोहरा जालान ने अपने कहानी पाठ से खचाखच भरे सभाकक्ष में उपस्थित प्रबुध्द श्रोताओं को खासा उद्वेलित किया और पढ़ी गयी कहानियों पर जम कर तर्क वितर्क हुआ। यह कार्यक्रम शनिवार की देर शाम सम्पन्न हुआ। अभिज्ञात ने अपनी नयी कहानी ‘क्रेजी फैंटेंसी की दुनिया’ का पाठ किया, जो कछुए पर अनुसंधान करने वैज्ञानिक के जीवन पर आधारित है, जो बेटी को कहानियां सुनाते-सुनाते एक विख्यात लेखक जाता है। कोहराम तब मचता है जब उसकी रचना का प्रमुख पात्र क्रैजी फैंटेसी कहानियों से बाहर निकल आता है और सौ से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। यह कहानी देश में दिनोंदिन शक्तिशाली होते जाते तंत्र की कारगुजारियों का तो पर्दाफाश करती ही है वह विकसित देश की अविकसित देशों के साथ की गयी कूटनीतिक चतुराइयों पर भी तीखी टिप्पणियां करती है।
शर्मिला बोहरा जालान ने आज की मॉल संस्कृति से जुड़ी दो कहानियों ‘कॉर्नसूप’ और ‘मॉलमून’ का पाठ किया। घटनाक्रम अलग-अलग होते हुए भी दोनों कहानियां उस समाज पर तीखा कटाक्ष करती हैं जिसमें मॉल लोकप्रिय हो रहा है। खरीदने के लिए खरीदना, दिखावे के लिए खरीदना, कर्ज लेकर भी खरीना, कहीं घूमने फिरने के बदले माल में जाने का बढ़ते चलन पर यह कहानियों चिन्ता वक्त करने में सक्षम हैं।
कार्यक्रम का संचालन कर रहे भारतीय भाषा परिषद के निदेशक और प्रख्यात आलोचक डॉ.विजय बहादुर सिंह ने कहा कि इस कक्ष में पढ़ी गयी कहानियों की अनुगूंज पूरे देश में सुनायी देगी। इस तरह की गोष्ठियों में विवाद होते हैं लेकिन उससे परिष्कार भी होता है। सभा में उपस्थित प्रबुध्द जनों की प्रतिक्रियां पर अपना पक्ष रखने का विरोध किये जाने पर डॉ.सिंह ने कहा कि प्रतिक्रिया में लेखक से यह मांग नहीं की जानी चाहिए कि वह क्या दे। लेखक ने क्या दिया है वह ही प्रतिक्रिया के केन्द्र में रहे तो बेहतर होगा। प्रेमचंद और अज्ञेय ने भी अपनी रचनाओं पर अपना पक्ष रखा था। कार्यक्रम की अध्यक्षता सातवें दशक के चर्तित कथाकार आलोक शर्मा ने किया।
कहानियों पर डॉ.सत्या उपाध्याय, रमेश मोहन झा, राज्यवर्ध्दन, शेराजखान बातिश, आशुतोष, अश्विनी झा, शुभ्रा दुबे, रावेल पुष्प, जितेन्द्र जीतांशु ने अपनी प्रतिक्रियाएं दीं। अभिज्ञात की कहानी के बारे में कहा गया कि उनकी कहानी उदय प्रकाश और हैरी पाटर के कथानक और फैंटेसी की याद दिलाते हैं। कहानी की संचरना जटिल है और स्वरूप ग्लोबल। डिटेल्स ज्यादा हैं। शर्मिला बोहरा जालान की कहानी पर लोगों का मंतव्य था कि यह एक नयी संस्कृति के खोखलेपन को उजागर करने में सफल हैं। उत्तर आधुनिक का स्मृतिलोप और इतिहास से कटने की चिन्ता इनमें है। कहानियों पर आपत्तियों भी दर्ज करायी गयीं जिनका लेखकों ने जम कर जवाब दिया।

10 टिप्‍पणियां:

पुरुषोत्तम कुमार ने कहा…

abhigyat ji swagat hai.

Unknown ने कहा…

हिन्दी के ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है, खूब लिखें, मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं…

रचना गौड़ ’भारती’ ने कहा…

नववर्ष् की शुभकामनाएं
सुंदर रचना संसार बनाया है
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
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Unknown ने कहा…

swaagat hai aapka....

Prakash Badal ने कहा…

भाई अभिज्ञात को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं और ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है।

Manoj Kumar Soni ने कहा…

बहुत ... बहुत .. बहुत अच्छा लिखा है
हिन्दी चिठ्ठा विश्व में स्वागत है
टेम्पलेट अच्छा चुना है. थोडा टूल्स लगाकर सजा ले .

कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
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ज्योत्स्ना पाण्डेय ने कहा…

नववर्ष की शुभ कामनाओं के साथ चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है .
धन्यवाद ..............

Deepak Sharma ने कहा…

आसमाँ ने सितारों जड़ी ओढ़ के चादर
ज़मीं का हाथ पकड़कर कहा !चलो मेरी जान
अपनी औलाद जिसे दुनिया कहती हैं इंसान
उसकी खुशियों के वास्ते आओ एक दुआ मांगे .
सारे संसार की हर एक ख़ुशी उन्हें देना मेरे मौला
उनके सपनो को ताबीर हासिल हो किसी भी हाल
उनकी दौलत,शोहरत और इज्ज़त मे हो खूब इजाफा
उनकी हर ख्वाहिश को साकार बनाये नया साल .
"दीपक" देहरी पर तेरी जलाते हैं हम ऐ जगतारक
औलादें सब कुदरत की सबको नया साल मुबारक .
कवि दीपक शर्मा
सर्वाधिकार सुरक्षित @कवि दीपक शर्मा
http://www.kavideepaksharma.co.in
http://www.shayardeepaksharma.blogspot.com

Publisher ने कहा…

उम्मीदों-उमंगों के दीप जलते रहें
सपनों के थाल सजते रहें
नव वर्ष की नव ताल पर
खुशियों के कदम थिरकते रहें।




नव वर्ष की ढेर सारी शुभकामनाएं।

Sanjay Grover ने कहा…

आज का दिन ऐतिहासिक है (क्योंकि) मैं आपके ब्लाॅग पर आया हूँ।
दरअसल......
इधर से गुज़रा था सोचा सलाम करता चलूंऽऽऽऽऽऽऽ
(और बधाई भी देता चलूं...)