अभिज्ञात

पुस्तकों का प्रकाशन विवरण

  • लेखकों के पत्र
  • कहानी
  • तीसरी बीवी
  • कला बाज़ार
  • दी हुई नींद
  • वह हथेली
  • अनचाहे दरवाज़े पर
  • आवारा हवाओं के ख़िलाफ चुपचाप
  • सरापता हूं
  • भग्न नीड़ के आर पार
  • एक अदहन हमारे अन्दर
  • खुशी ठहरती है कितनी देर
  • मनुष्य और मत्स्यकन्या
  • बीसवीं सदी की आख़िरी दहाई
  • कुछ दुःख, कुछ चुप्पियां
  • टिप टिप बरसा पानी
  • मुझे विपुला नहीं बनना
  • ज़रा सा नास्टेल्जिया
  • कालजयी कहानियांः ममता कालिया
  • कालजयी कहानियांः मृदुला गर्ग

2/07/2010

मनुष्य और मत्स्यकन्या-पेज2

Posted by डॉ.अभिज्ञात
इसे ईमेल करेंइसे ब्लॉग करें! X पर शेयर करेंFacebook पर शेयर करेंPinterest पर शेयर करें

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

नई पोस्ट पुरानी पोस्ट मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें टिप्पणियाँ भेजें (Atom)

कुल पेज दृश्य


अपने बारे में

मेरी फ़ोटो
डॉ.अभिज्ञात
KOLKATA, West Bengal, India
वास्तविक नामः डॉ.हृदय नारायण सिंह। जन्म-1962, ग्राम-कम्हरियां, ज़िला-आज़मगढ़, उत्तर प्रदेश। शिक्षा-हिन्दी में कलकत्ता विश्वविद्यालय से पीएच-डी। प्रकाशित कविता संग्रह-एक अदहन हमारे अन्दर, भग्न नीड़ के आर-पार, सरापता हूं, आवारा हवाओं के ख़िलाफ़ चुपचाप, वह हथेली, दी हुई नींद, खुशी ठहरती है कितनी देर, बीसवीं सदी की आख़िरी दहाई, कुछ दुःख कुछ चुप्पियां, ज़रा सा नास्टेल्जिया। उपन्यास-अनचाहे दरवाज़े पर, कला बाज़ार, टिप टिप बरसा पानी। कहानी संग्रह-तीसरी बीवी, मनुष्य और मत्स्यकन्या, मुझे विपुला नहीं बनना। रचनाएं कई भारतीय भाषाओं व अंग्रेज़ी में अनूदित। भोजपुरी में भी लेखन। आकांक्षा संस्कृति सम्मान, कादम्बिनी लघुकथा पुरस्कार-2007, कौमी एकता अवार्ड, अम्बेडकर उत्कृष्ट पत्रकारिता सम्मान, राजस्थान पत्रिका सृजनात्मक साहित्य सम्मान, कबीर सम्मान, अग्रसर पत्रकारिता सम्मान, पंथी सम्मान। पेंटिंग में भी गति। हिन्दी फ़ीचर फिल्म चिपकू, बांग्ला फ़ीचर फिल्मों 'एक्सपोर्टः मिथ्या किन्तु सत्ती', 'महामंत्र', 'एका एवं एका', 'जशोदा', शार्ट फ़िल्म 'ईश्वर, नोमोफोबियाः एक यंत्र, लव जिहाद, धारावाहिक 'प्रतिमा' में अभिनय। पेशे से पत्रकार। जनसत्ता, अमर उजाला, वेबदुनिया डाट काम, दैनिक जागरण के बाद सम्प्रति सन्मार्ग दैनिक में डिप्टी न्यूज़ एडिटर। कोलकाता ई मेल-abhigyat@gmail.com
मेरा पूरा प्रोफ़ाइल देखें

लोकप्रिय पोस्ट

  • टिप टिप बरसा पानी उपन्यास पर आयोजित विचार विमर्श कार्यक्रम में निराला लिखित सरस्वती वंदना प्रस्तुत करतीं शाश्वती और जूही
  • हर दूजा बटमार है
     गीत /डॉ.अभिज्ञात सोच-समझ के वोट डालना हर दूजा बटमार है। जिसके कारण लोकतंत्र का अपने बंटाधार है। कोई जाति के नाम पे मांगे धर्म कोई दिखल...
  • biswi sadi ki aakhiri dahai ।। केदारनाथ सिंह ने क्या कहा अभिज्ञात की कवि...

Blog Archive

Followers

नयी व शीघ्र प्रकाश्य पुस्तकें

केदारनाथ सिंह की कविता का आलोक, आलोचना
-तीलियां और तल्ख़ियां-संस्मरण

सदस्यता लें

संदेश
Atom
संदेश
टिप्पणियाँ
Atom
टिप्पणियाँ
ईथरीयल थीम. Blogger द्वारा संचालित.