पुस्तकों का प्रकाशन विवरण
- लेखकों के पत्र
- कहानी
- तीसरी बीवी
- कला बाज़ार
- दी हुई नींद
- वह हथेली
- अनचाहे दरवाज़े पर
- आवारा हवाओं के ख़िलाफ चुपचाप
- सरापता हूं
- भग्न नीड़ के आर पार
- एक अदहन हमारे अन्दर
- खुशी ठहरती है कितनी देर
- मनुष्य और मत्स्यकन्या
- बीसवीं सदी की आख़िरी दहाई
- कुछ दुःख, कुछ चुप्पियां
- टिप टिप बरसा पानी
- मुझे विपुला नहीं बनना
- ज़रा सा नास्टेल्जिया
- कालजयी कहानियांः ममता कालिया
- कालजयी कहानियांः मृदुला गर्ग
8/25/2012
चंद्रदेव सिंह को श्रद्धांजलि
नवगीतों के लिए अलग से पहचाने जाने वाले कवि डॉ.चंद्रदेव सिंह आज हमारे बीच नहीं हैं। उनके साथ मेरी कई यादें जुड़ी हैं। हमने कई कवि-सम्मेलनों में एक साथ काव्य-पाठ किया है। वे इसलिए भी मुझे प्रिय थे क्योंकि कवि हरिवंश राय बच्चन के प्रति उनके मन में अगाध श्रद्धा थी और बच्चन जी मुझे भी प्रिय थे। बच्चन जी ने मेरा नामकरण अभिज्ञात किया था। चंद्रदेव सिंह भोजपुरी में भी लिखते थे। मेरी पत्नी और भोजपुरी गायिका प्रतिभा सिंह ने चंद्रशेखर जी के चुनाव प्रचार के लिए एक गीतों का एक कैसेट तैयार किया था। वे गीत भोजपुरी में थे जिन्हें डॉ.चंद्रदेव सिंह ने लिखा था। स्पष्टवादिता और निर्भीकता उनके स्वभाव के मूल गुण थे और ये गुण उनकी कविताओं में भी प्रकट हुए हैं। आज उनकी एक तस्वीर मिल गयी उसे आपसे साझा कर रहा हूं। हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रमों के तहत कोलकाता में स्टील अथारिटी आफ इंडिया के कार्यक्रम में हम साथ थे। साथ हैं एक बार और जाल फेंक रे मछेरे के लिए लोकप्रिय नवगीतकार डॉ.बुद्धिनाथ मिश्र । काव्य पाठ कर रहा हूं मैं और डॉ.बुद्धिनाथ मिश्र के साथ बैठे हैं डॉ.चंद्रदेव सिंह।
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