पुस्तकों का प्रकाशन विवरण
लेखकों के पत्र
कहानी
तीसरी बीवी
कला बाज़ार
दी हुई नींद
वह हथेली
अनचाहे दरवाज़े पर
आवारा हवाओं के ख़िलाफ चुपचाप
सरापता हूं
भग्न नीड़ के आर पार
एक अदहन हमारे अन्दर
खुशी ठहरती है कितनी देर
मनुष्य और मत्स्यकन्या
बीसवीं सदी की आख़िरी दहाई
कुछ दुःख, कुछ चुप्पियां
टिप टिप बरसा पानी
मुझे विपुला नहीं बनना
ज़रा सा नास्टेल्जिया
कालजयी कहानियांः ममता कालिया
कालजयी कहानियांः मृदुला गर्ग
10/11/2013
मेरी पेंटिंग दि नेचर
मैंने अपनी यह पेंटिंग 'दि नेचर' आज पूरी की। यह काम कई महीनों से अधूरा पड़ा था। यह 'सिम्बोसिस सिरीज' के तहत प्रदर्शितं होगी और उसकी एक कड़ी है। आपको कैसी लगी प्रतिक्रिया दें। यह 24x24 इंच की है। कैनवास पर एक्रेलिक रंगों से बनायी गयी है।
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