12/09/2014

पत्रकारिता और भाषागत चुनौतियां पर परिचर्चा


कोलकाता:  प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग की ओर से पत्रकारिता और भाषा की चुनौतियां पर परिचर्चा का आयोजन मंगलवार की शाम विश्वविद्यालय के आचार्य जगदीश चंद्र बोस सेमिनार हॉल किया गया। परिचर्चा में वक्ताओं ने पत्रकारिता के इतिहास से लेकर उसके मौजूदा स्वरूप पर गंभीर चर्चा की एवं जिज्ञासु छात्र-छात्राओं की शंकाओं को समाधान भी किया। बांग्ला के वरिष्ठ पत्रकार अशोक सेनगुप्त ने देश के पत्रकारिता के इतिहास में पश्चिम बंगाल के योगदान की ïविशेष तौर पर चर्चा करते हुए इस प्रदेश को कई भाषाओं की पत्रकारिता का जनक बताया। लेखक-पत्रकार डॉ.अभिज्ञात ने अंग्रेजी व हिन्दी पत्रकारिता की तुलना करते हुए हिन्दी पत्रकारिता को कतिपय कमियों के बावजूद अधिक जनहितैषी व जनता से जुड़ा बताया। भाषा के सम्बंध में उन्होंने कहा कि आजादी के पूर्व प्राय: साहित्यकार ही पत्रकार हुआ करते थे और पत्रकारिता मिशन थी। अब पत्रकारिता का फलक विस्तृत हो चुका है और केवल साहित्य जानने से पत्रकारिता का काम नहीं चलेगा। पत्रकारों की प्राथमिकता सूचना पहुंचना है भाषा अभिव्यक्ति का माध्यम भर है। इलेक्ट्रानिक मीडिया के आने के बाद तो सीधे घटनास्थल से ब्यौरे देने पड़ते हैं भाषा को दुरस्त करने का वक्त कहां है।  भारतीय विद्या भवन स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के प्रिंसिपल समीर गोस्वामी ने कहा कि टीवी चैनलों को समाचारों देने के साथ साथ कार्यक्रम को रोचक बनाये रखने की भी चुनौती होती है। उन्होंने कहा कि अखबारों में प्रकाशित खबरें पहले ही टीवी पर आ चुकी होती हैं किन्तु समाचारों का विश्लेषण अखबार को प्रासंगिक बनाये रखता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉ.तनुजा मजुमदार ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर डॉ.ऋषि भूषण चौबे ने और धन्यवाद ज्ञापन प्रोफेसर डॉ.अनिंद्य गांगुली ने किया। वक्ताओं का परिचय पत्रकारिता पर शोधार्थी जय प्रकाश मिश्र ने दिया।


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