1/31/2015

रवीन्द्रनाथ पर चर्चा के बीच अभिज्ञात के कहानी संग्रह का लोकार्पण

 



कोलकाताः भारतीय भाषा परिषद की ओर से आयोजित समारोह में रवीन्द्रनाथ टैगोर और अभिज्ञात पर एक साथ चर्चा हुई। रवीन्द्रनाथ के मृत्यु सम्बंधी दर्शन और डॉ.अभिज्ञात की कहानी 'इस तरह से आती है मौत' में मृत्यु के आयामों पर वक्ताओं ने प्रकाश डाला।
'रवीन्द्रनाथ टैगोर के मृत्यु एवं परामृत्यु दर्शन' विषय पर व्याख्यान में प्रख्यात चिन्तक एवं शिक्षाविद् प्रो.डॉ.पल्लव सेनगुप्त ने कहा कि रवीन्द्रनाथ ने अपनी कविताओं, कहानियों, उपन्यासों व पत्रों में मृत्यु की कई बार चर्चा की है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए बांग्ला के वरिष्ठ कथाकार डॉ.रामकुमार मुखोपाध्याय ने कहा कि मृत्यु रवीन्द्रनाथ की रचनाओं में है किन्तु वे मृत्यु से भयभीत कतई नहीं हैं। प्रो.स्वपन कुमार चक्रवर्ती एवं डॉ.कुसुम खेमानी ने भी समारोह को सम्बोधित किया।
इस अवसर पर प्रो.डॉ.पल्लव सेनगुप्त ने अभिज्ञात के कहानी संग्रह ‘मनुष्य और मत्स्यकन्या’ का लोकार्पण किया।  आलोचक डॉ,शंभुनाथ ने कहा कि अभिज्ञात अपनी कहानियों में जादुई यथार्थवाद का प्रयोग करते हैं। एक मिथकीय फैंटेसी उनकी कहानियों में है। वे सच को झूठ की तरह लिखने वाले एक महत्वपूर्ण कहानीकार हैं। प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.ऋषिभूषण चौबे ने इस संग्रह की एक कहानी 'इस तरह से आती है मौत' की चर्चा करते हुए कहा कि इस कहानी का नायक एक सामान्य व्यक्ति है जो मृत्यु के विविध आयामों को देखता है और एक दर्शन विकसित करता है। शीर्षक कहानी 'मनुष्य और मत्स्यकन्या' में अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने प्रोडक्ट को बेचने के हथकंडों को उजागर किया गया है। उन्होंने कहा कि अभिज्ञात की कहानियां विश्वास पैदा करती हैं इस नकारात्मक समय में कभी भी कुछ अच्छा भी हो सकता है। हमेशा खराब ही नहीं होगा। अच्छाई के प्रति हम एक आस्था बनाये रखें। 

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