4/11/2017

गाय आरती

डॉ.अभिज्ञात
(श्रीमती जी की फरमाइश पर उनके गाने के लिए लिखी )

गौ मां, तू है जगजननी माता
तू सबकी भाग्य विधाता
तेरी कृपा न कभी हारती
गऊ मां नित-नित उतारूं तेरी आरती
-1-
तुम बिन कोई यज्ञ न पूरा होवे
कामधेनु कहलाती हो
तुमको जिसने पूजा मैया
उसके भाग जगाती हो
पीयूष पिलाने वाली
निर्मल बनाने वाली
कष्टों से तुम ही उबारती
मैया, नित नित उतारूं तेरी आरती
-2-
तुझपे रीझे ग्वाल बाल
राधा-गोपी सब वारी थे
तुझपे मोहित हे माता जी
श्यामल मुरली धारी थे
तन मन हर्षाने वाली
करुणा बरसाने वाली
सबकी तुम बिगड़ी संवारती
मैया, नित नित उतारूं तेरी आरती
-3-
मंगलकारी तुम हो मैया
तुमही सारे तीरथ हो
वेदवंदिता तुम कपिला हो
भारत मां का गौरव हो
यमुना गंगा की धारा
सबको वैतरणी तारा
गिनती न तेरे उपकार की
मैया, नित नित उतारूं तेरी आरती
-4-
पीठ पे ब्रह्मा गले में विष्णु
मुख में शिवजी रहते हैं
सारे देव विराजे तुममें
ऋषि मुनी सच कहते हैं
पूजें सारे नर नारी
हर लो विपदाएं सारी
शोभा हो तुम हर द्वार की
मैया, नित नित उतारूं तेरी आरती
-5-
सागर मंथन से निकले जो
उन रत्नों की शान हो
तर जाता है भवसागर से
जिसने किया गोदान हो




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