जब जब धरती ने मांगी है बेटों की कुर्बानी ! सबसे पहले निकल के आये सारे हिन्दुस्तानी ! वंदे मातरम् वंदे मातरम् ! वंदे मातरम् वंदे मातरम् ! मेरी आन है, मेरी शान है, मेरा इंडिया तू महान है तेरी बात सबसे जुदा है और तेरी ठोकरों में जहान है!
दिलदार नहीं इनके जैसा, पर सावधान जब अनबन हो !
तब देख इरादे फौलादी सीना छत्तीस या छप्पन हो! रुख तूफ़ानों का मोड़ दिया जब भी दिल ने जिद ठानी! वंदे मातरम् वंदे मातरम् ! वंदे मातरम् वंदे मातरम् ! तू ही धर्म है, तू ईमान है, मुझे देश रब के समान है ये गुलाम तेरा मुरीद है, तू बुलंदियों का निशान है! जहां स्वाभिमान की ख़ातिर सिर कटते हैं मगर झुकते ही नहीं ! जहां रणभेरी की सुन पुकार बढ़ चले क़दम रुकते ही नहीं ! ये लाजवाब, ये बेमिसाल, इनका न कोई भी सानी ! वंदे मातरम् वंदे मातरम् ! वंदे मातरम् वंदे मातरम् ! मेरे शब्द का तू ही अर्थ है, मेरे लब पे तेरी ज़ुबान है मेरा बोलना मेरी बतकही, तेरा राग है तेरा गान है ! जो देश के काम नहीं आये धिक्कार जवानी उनकी है ! इतिहास कभी कायर का नहीं, जो शहीद कहानी उनकी है! उनके ही पांव पखारेगा हर आंख का बहता पानी!! वंदे मातरम् वंदे मातरम् ! वंदे मातरम् वंदे मातरम् ! तेरी ख़ुशबुओं की कसम मुझे, मैं तेरा हूं इसका गुमान है तेरे इक इशारे पे मर मिटूं, तेरा तीर हूं तू कमान है! |
पुस्तकों का प्रकाशन विवरण
- लेखकों के पत्र
- कहानी
- तीसरी बीवी
- कला बाज़ार
- दी हुई नींद
- वह हथेली
- अनचाहे दरवाज़े पर
- आवारा हवाओं के ख़िलाफ चुपचाप
- सरापता हूं
- भग्न नीड़ के आर पार
- एक अदहन हमारे अन्दर
- खुशी ठहरती है कितनी देर
- मनुष्य और मत्स्यकन्या
- बीसवीं सदी की आख़िरी दहाई
- कुछ दुःख, कुछ चुप्पियां
- टिप टिप बरसा पानी
- मुझे विपुला नहीं बनना
- ज़रा सा नास्टेल्जिया
- कालजयी कहानियांः ममता कालिया
- कालजयी कहानियांः मृदुला गर्ग
7/27/2017
इतिहास कभी कायर का नहीं
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2 टिप्पणियां:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 26 अगस्त 2017 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
वाह ! बहुत सुन्दर पंक्तियाँ आभार "एकलव्य"
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