पुस्तकों का प्रकाशन विवरण
- लेखकों के पत्र
- कहानी
- तीसरी बीवी
- कला बाज़ार
- दी हुई नींद
- वह हथेली
- अनचाहे दरवाज़े पर
- आवारा हवाओं के ख़िलाफ चुपचाप
- सरापता हूं
- भग्न नीड़ के आर पार
- एक अदहन हमारे अन्दर
- खुशी ठहरती है कितनी देर
- मनुष्य और मत्स्यकन्या
- बीसवीं सदी की आख़िरी दहाई
- कुछ दुःख, कुछ चुप्पियां
- टिप टिप बरसा पानी
- मुझे विपुला नहीं बनना
- ज़रा सा नास्टेल्जिया
- कालजयी कहानियांः ममता कालिया
- कालजयी कहानियांः मृदुला गर्ग
12/11/2024
ग़ज़ल की परम्परा और हुनर
कोलकाता के प्रतिष्ठित भवानीपुर एजूकेशन सोसाइटी कॉलेज में 10.06.2023 को आयोजित 'ग़ज़ल' कार्यक्रम में 'ग़ज़ल की परम्परा और हुनर' पर प्रकाश डाला। गीतकार और शायर मजरूह सुल्तानपुरी के योगदान की भी चर्चा की। अपनी तीन ग़ज़लें भी कहीं॥ युवा पीढ़ी को ग़ज़ल सुनाना सुखद अनुभव रहा। समारोह में स्वाति वर्धन ने ग़ज़लों का गायन किया। पलाश चतुर्वेदी ने भी ग़ज़लें सुनायीं। कुछ छात्र छात्रों ने भी अपनी कविताएं और मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे गीतों का गायन किया। समारोह कॉलेज के डीन दिलीप शाह की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ और संचालन किया डॉ.वसुंधरा मिश्र ने।
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