2/09/2025

गजल संग्रह 'तीरगी में रौशनी' का लोकार्पण

'चमकता आसमां का हर सितारा चाहिए मुझको'
कोलकाता : कृत्रिम मेधा जैसे चुनातीपुर्ण विषयों पर अपनी पुस्तकों से चर्चा में रहे पर डॉ. सुनील कुमार शर्मा अब अपने गजल संग्रह 'तीरगी में रौशनी' के लिए चर्चा में हैं। संग्रह का लोकार्पण अंतरराष्ट्रीय कोलकाता पुस्तक मेला में वाणी प्रकाशन के स्टाल पर हुई। इसे दौरान हुई परिचर्चा में डॉ. शर्मा ने अपनी गजलें भी सुनायीं। उनकी एक गजल का शेर यूं था-'मुझे पहले यूं लगता था सहारा चाहिए मुझको/मगर अब जा के समझा हूं किनारा चाहिए मुझको।' परिचर्चा में डॉ. शंभुनाथ, डॉ.अभिज्ञात, रामनिवास द्विवेदी, मृत्युंजय श्रीवास्तव, आदित्य गिरि, सुषमा कुमारी और रुपेश कुमार यादव ने हिस्सा लिया। अध्यक्षीय वक्तव्य में रामनिवास द्विवेदी ने कहा कि सुनील जी ने अपने ग़ज़लों में जीवन की विविधताओं को शामिल किया है। डॉ. शंभुनाथ ने कहा कि इनकी कई ग़ज़लें व्यक्ति सत्य से बाहर के सच को देखने की एक कोशिश है। मृत्युंजय श्रीवास्तव ने कहा कि ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जो स्वयं ख़ुद को संप्रेषित करती है, इसके लिए किसी आलोचक की ज़रूरत नहीं पड़ती। डॉ.अभिज्ञात ने कहा डॉ.शर्मा इश्क के जरिये विषय वस्तु में प्रवेश करतें हैं और शायरी को दर्शन की ऊंचाई तक ले जाते हैं। उन्होंने संग्रह के कुछ शेर सुनाये-'अगर दुनिया से भी लड़ना पड़े तो मैं अकेला ही/लड़ूंगा बस तुम्हारा इक इशारा चाहिए मुझको/जो मेरा चांद है उसको सजाने के लिए हर दिन/चमकता चांद का हर इक इशारा चाहिए मुझको।' आदित्य गिरि ने कहा की इनमें शोषित व्यक्ति की पीड़ा है। शोधार्थी सुषमा कुमारी ने कहा कि समकालीन प्रासंगिकता का दस्तावेज है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ. संजय जायसवाल ने कहा कि ग़ज़लें प्रेम और प्रतिरोध का आख्यान है। मधु सिंह ने सुनील जी की एक गजल का पाठ किया। इस अवसर पर विद्यासागर विश्वविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद कुमार प्रसाद, प्रो. संजय यादव, अनिल शाह, कंचन भगत, कुसुम भगत, सहित अन्य साहित्यप्रेमी उपस्थित थे। धन्यवाद ज्ञापन वाणी प्रकाशन के दिनेश कुमार सिंह ने दिया।
नवभारत, भोपाल, 09.02.2025
जनसंदेश टाइम्स, लखनऊ, 09.02.2025
विश्वामित्र दैनिक, 09.02.2025
छपते छपते, 09.02.2025
वर्तमान पत्रिका, 09.02.2025

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