2/23/2009

प्रेमचंद की बिरादरी


यह संस्मरण अक्षरपर्व डॉट काम ने कुछ माह पहले प्रकाशित किया है जो प्रकाशन से करीब दो साल पहले लिखा गया था। प्रेमचंद के गांव लमही की यह तस्वीर लेख लिखते समय नहीं थी, एक बाद यह खींची गयी थी। यह लेख निहायत व्यक्तिगत है शायद इसलिए विश्वसनीय भी हो। प्रेमचंद से यह लेख जुड़ गया, यह मेरे लिए भी अप्रत्याशित था। आप भी पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया से अवगत करायें।

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