3/31/2009

भोजपुरी के अनन्य वक्ता थे डॉ.प्रभुनाथ सिंह-केदारनाथ सिंह


डॉ.प्रभुनाथ सिंह के स्वर्गवास का समाचार मुझे 30 मार्च को 3 बजे अपराह्न प्रख्यात कवि डॉ.केदारनाथ सिंह से मिला। वे हावड़ा में अपनी बहन के यहां आये हुए हैं। उन्हीं से जाना भोजपुरी में उनके अनन्य योगदान के सम्बंध में। गत बीस सालों से वे अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मेलन नाम की संस्था चला रहे थे जिसके अधिवेशन में भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने का प्रस्ताव पारित हुआ था। उसी की पहल पर यह प्रस्ताव संसद में रखा गया और उस पर सहमति भी बन गयी है तथा सिद्धांत रूप में इस प्रस्ताव को स्वीकार भी कर लिया गया है। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह का भोजपुरी में निबंध एवं कविताएं लिखी हैं। कुछ कविताएं अच्छी हैं। केदार जी के अनुसार भोजपुरी के प्रति वे एक समर्पित व्यक्ति और एक बड़े वक्ता थे। संभवतः अपने समय के भोजपुरी के सबसे बड़े वक्ता थे। बिहार में महाविद्यालयों को अंगीकृत कालेज की मान्यता दी गयी तो उसमें डॉ.प्रभुनाथ सिंह की बड़ी भूमिका थी। वे उस समय बिहार सरकार में वित्तमंत्री थे। मृत्यु के एक घंटे पहले ही उनसे फोन से बातें हुई थीं। भोजपुरी के लिए बहुत कुछ करने का उन्होंने संकल्प लिया था। उनकी प्रबल इच्छा की भोजपुरी में लिखे साहित्य का प्रचार-प्रसार हो। उसके लिए सहकारी मंच कैसे बनाया जाये इस दिशा में वे काम करना चाहते थे। दुर्भाग्य से उनका असमय जाने से यह काम न हो सका। पूरे भोजपुरी क्षेत्र में ऐसा समर्पित सर्जक दूसरा कौन है, मैं नहीं जानता। केदार जी ने बताया कि डॉ.प्रभुनाथ सिंह बिहार विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र के प्रोफेसर एवं हेड थे और वहीं से रिटायर हुए। वे कांग्रेस के दो बार एमएलए बने और जगन्नाथ मिश्र की मिनिस्ट्री में वित्त मंत्री भी रहे। वे सम्प्रति अन्य शिक्षा संस्थानों से भी जुड़े थे। वे दिल्ली में एक प्रसिद्ध प्रबंधन संस्थान में रेक्टर थे। इसके अलावा छपरा में अपने नाम पर बने डॉ.प्रभुनाथ सिंह महाविद्यालय की देखरेख की जिम्मेदारी ले रखी थी।
पूर्वांचल एक्सप्रेस में विवरण
डा. प्रभुनाथ सिंह के जन्म २ मई १९४० में सारन जिला के मुबारकपुर गाँव में भइल रहे। अर्थशास्त्र, वाणिज्य आ प्रबंधन में इहाँ के बहुत गहन अध्ययन रहे। इहाँ के लिखल विभिन्न टापिक पर लगभग ३० गो शोध पत्र भी प्रकाशित भइल रहे। कई बेर सोवियत, अलजीरिया, चेक गणराज्य, हन्गरी आ नेपाल आदि देशन के भ्रमण कइलीं। भोजपुरी में इहाँ के लिखल किताब हीरा मोती, लीं हमार गीत, बकरी, हमार गाँव हमार घर आ पड़ाव प्रकाशित बा। कई विश्वविद्यालय में अध्यापन के काम कइलीं। इहाँ के विश्व भोजपुरी सम्मेलन, दिल्ली के संयोजक आ अखिल भारतीय साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी रहल बानी। राजा सिंह कालेज.सीवान, डा. पी.एन. सिंह इण्टर कालेज. छपरा, डा. पी.एन. सिंह डिग्री कालेज. छपरा, डा. आर.बी. सिंह हाई स्कूल. बिशुनपुरा, छपरा आ प्रभुनाथ जमादार हाई स्कूल. पखरेरा, छपरा नीयन शिक्षण संस्थानन के स्थापना अनुकरणीय बा। राजनीति के क्षेत्र सन् १९७२ से १९७७ ले आ १९८० से १९८५ ले दु बेर इहाँ के विधान सभा सदस्य के रुप में सीधे जनसेवा कइनी आ बिहार सरकार के वित्त मंत्री भी रहनी। भोजपुरी साहित्य के सेवा करत इहाँ के ३० मार्च, २००९ के अंतिम साँस लिहलीं।
सारन जिला के मुबारकपुर गांव में जनमल कुशल राजनीतिज्ञ डॉ प्रभुनाथ सिंह भोजपुरी साहित्य, भोजपुरी समाज के विकास के साथे-साथे भोजपुरी भासा के मान्यता खातिर आंदोलन के सबसे मजबुत स्तंभ रहनी ह।