6/05/2009

अभिज्ञात की बनायी गयी लोकनायक जयप्रकाश की पेंटिंग


कोलकाताः 5 जूनः आज सम्पूर्ण क्रांति दिवस पर लोकनायक जयप्रकाश नारायण को मेरी श्रद्धांजलि। इस अवसर पर मेरी लगभग 30 साल पहले बनायी गयी पेंटिंग आपकी नज़र है। यह हलांकि अब खस्ता हाल है और शायद कुछ दिनों या कुछ माह की मेहमान। एक मामूली से कागज़ पर जलरंगों व पेस्टल कलर से मैंने इसे बनाया था। इसका आकार 8 x14 इंच होगा। मैं उस समय 12 वीं कक्षा में पढ़ता होऊंगा। मैंने उन दिनों श्री आरके गोहिल से पेंटिंग की कुछ बारिकियां सीखीं थी जिन्होंने जेजे स्कूल आफ फाइन आर्ट्स से डिग्री या डिप्लोमा लिया था। उसके बाद तो चित्रकार भाऊ समर्थ को मानस गुरु बनाया और कभी-कभार उनके यहां नागपुर जाकर उनसे मिला और अपनी जिज्ञासाएं शांत करता रहा। काफी अरसे बाद जब कोलकाता आना हुआ तो मेरी पीएचडी की शोध निर्देशिका डॉ.इलारानी सिंह (अब स्वर्गीय) ने यहां के विख्यात चित्रकार गणेश पाइन से मिलवाया। फिर क्या था विभूति केबिन चायखाने में उनकी टेबिल के आसपास में अक्सर नज़र आने लगा जहां वे अपने कुछ और दोस्तों के साथ अक्सर बैठते थे और उन दिनों सभी कलाओं में उत्तर आधुनिकता पर सोच विचार कर रहे थे और उसकी दिशा प्रशस्त करने में लगे थे। उनके साथ बैठने वालों में जहां युवा चित्रकार बिमल कुंडू थे तो कई साहित्यकार भी। मैं अक्सर चुपचाप रहता उन लोगों की बैठक में और काली चाय पीता रहता उनके और दोस्तों के साथ। फिर न जाने क्या हुआ कि उनका अड्डा उजड़ गया। वे नज़र नहीं आये और फिर यह भी हुआ कि कोलकाता में वर्ण परिचय को साकार देने के लिए विभूति केबिन तोड़ दिया गया। योजना है कि पुस्तकों का सबसे बड़ा माल वहां बन रहा है। अंतिम तौर पर मैंने कला गुरु बनाया वरिष्ठ चित्रकार और कलागुरु होरी लाल साहू को, एकेडमी आफ फाइन आर्ट्स के रिटायर्ड प्रिंसिपल है और एक आर्ट ग्रुप भी गठित किया है। बहरहाल अब तक किसी कला प्रदर्शनी में मेरी पेंटिंग नहीं लगी। पहली बार यह पेंटिंग आप देख रहे हैं आपकी प्रतिक्रियांएं मेरे लिए कीमती हैं, यह कहना न होगा।

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