6/06/2009

क्रैज़ी फ़ैंटेसी की दुनिया

यह कहानी सबसे पहले मैंने पढ़ी थी भारतीय भाषा परिषद के सभाकक्ष में आयोजित रचनागोष्ठी में। खासी चर्चा हुई। वाद विवाद हुए। बहसें हुईं। अहा ज़िन्दगी पत्रिका के अप्रैल 2009 अंक में यह प्रकाशित हुई। इसके काफ़ी पहले यह वर्तमान साहित्य की ओर से आयोजित कमलेश्वर स्मृति कहानी प्रतियोगिता में भेजी गयी थी और प्रतियोगिता में यह दूसरे नम्बर पर रही। फिर पत्रिका ने इस कहानी को जून 2009 के अंक में दो प्रमुख आलोचकों की टिप्पणी के साथ प्रकाशित किया। इस कहानी को सृजनगाथा डाट काम ने इंटरनेट पर पाठकों को उपलब्ध कराया है। आप भी पढ़ें और अपनी प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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