कर सो सरहद की बेशक हिफ़ाज़त
घर भी लौटो कि हम चाहते हैं!
तेरी कुर्बानियों पर फ़िदा हम
चूमें तेरे क़दम चाहते हैं!!
मां की आंखों का तुम नूर हो और
बूढ़े पापा की लाठी तुम्हीं हो
तुम ही शृंगार हो इक दुल्हन के
भोली बहनों की राखी तुम्हीं हो
भाई ढूंढे , सभी संगीसाथी
तुमको ही हमक़दम चाहते हैं !!
तेरे दम पे टिका है हिमालय
तुमसे ही गंगा यमुना में पानी!
तुमसे ही सीखता है ज़माना
काम आती है कैसे जवानी!
हम भी तेरी तरह इस ज़मीं पर
हो दुबारा जनम चाहते हैं!!
पूरी दुनिया का सिरमौर भारत
चुभ रहा जाने किसकी नज़र में!
नफ़रतों के बवंडर उठे हैं
बारूदें बिछ गयीं हर डगर में!
तुम अमन के सिपाही लड़ोगे
उनसे जो भी सितम चाहते हैं!!
तुममें वेदों की सारी ऋचाएं
तुममें गीता के संदेश सारे!
तुममें कुरआन की आयतें हैं
तुममें बाइबिल के उपदेश सारे!!
जब भी हथियार तेरे उठे हैं
बैरी तुझसे रहम चाहते हैं!! |
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