7/13/2017

फिर से इक बेटा सोया है आज तिरंगा ओढ़कर!!


 

कितनी ख़्वाहिश कितने सपने आधेअधूरे छोड़कर!
फिर से इक बेटा सोया है आज तिरंगा ओढ़कर!!

घर के कोने में अब भी शहनाई की स्वरलहरी है
अभी चूड़ियों की खन खन ही कहां चैन से ठहरी है
अभी बना था एक घोंसला तिनका तिनका जोड़कर !!

भारत मां को आंख दिखा जब दुश्मन ने नादानी की
जन्मभूमि की सुन पुकार तब बेटों ने कुरबानी दी
पंछी ने परवाज भरी है तन का पिंजरा तोड़ कर !!

अपने वतन को रोशन करके एक सितारा डूब गया
पार उतरते ही कश्ती के एक किनारा डूब गया
चलते चलते जयी बना, रुख तूफानों का मोड़ कर !!

बारूदों के ढेर से तेरा क़द ना नापा जायेगा
अब गुलाब के बाग लगा ले काम वही बस आयेगा
विश्वयुद्ध छिड़ जाये कहीं ना शस्त्रों की मत होड़ कर !!

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