9/24/2017

महाभीम का जीवन

कहानी

-डॉ.अभिज्ञात


(यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है!! कृपया इसका किसी भी रूप में उपयोग करने से पहले इज़ाजत ले लें, इसका कॉपीराइट रिजर्व है)
महाभीम की चर्चा जोरों पर थी। उस प्रतिष्ठान ने बच्चों के लिए एक भव्य आयोजन किया था। बच्चे उसमें महाभीम से मिलने वाले थे। वह महाभीम जिसे उन्होंने धारावाहिकों में देखा था। उससे साक्षात् मिलने का अवसर बच्चों के लिए कम रोमांच भरा न था। बच्चे खासा उत्साहित थे। उन्होंने एक सप्ताह पहले ही अपने अभिभावकों पर दबाव डालकर, मनुहार करके अपना नाम आयोजकों के पास रजिस्टर्ड करवा लिया था। कई अभिभावक स्वयं इसे लेकर प्रफुल्लित थे कि उनका बच्चा कुछेक घंटे मजे करेगा। अपने हमउम्र बच्चों के साथ हंसीखुशी के क्षण गुज़ारेगा और साथ ही वह खाने पीने के प्रति भी जागरुक बनेगा क्योंकि महाभीम बात बात में खाने पीने की बातें करता है और उसके फायदे- नुकसान भी साथ ही बताता चलता है।
आयोजक एक प्रतिष्ठित प्रतिष्ठान के थे। प्रतिष्ठान के प्रमुख की पत्नी ने अपनी दिवंगत बच्ची की स्मृति में इसका आयोजन किया था। वह दूसरे बच्चों के साथ साल में एक दिन सोल्लास मनाना चाहती थीं।

तय समय से पहले ही बच्चों के अभिभावक उन्हें निर्दिष्ट स्थल पर लेकर पहुंचने लगे थे और बच्चे को आयोजकों के सुपुर्द कर तीन घंटे बाद उन्हें वापस लेने आने वाले थे। इधर आयोजन के कार्यभार की प्रभारी महाभीम की समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करने को लेकर चिंतित हो उठी। योजना थी कि जब बच्चे आ जायें तो तय समय पर उनके बीच हाथ हिलाता महाभीम उपस्थित हो ताकि इन्तज़ार करते बच्चों को रोमांचक लगे। लेकिन मजबूरन उन्हें घोषणा करनी पड़ी कि महाभीम कुछ विलम्ब से उनके बीच आ पायेगा क्योंकि जिस एजेंसी ने  को उनके बीच लाने की जिम्मेदारी ली थी उसके प्रतिनिधियों ने विलम्ब के लिए तरह- तरह के बहाने बनाने शुरू कर दिये थे। खैर..कुछ विलम्ब से ही सही  उनके बीच उपस्थित हो गया। आते ही उसने बच्चों को हाथ लहराकर विश किया। कई बच्चों के मुंह से चीख सी निकल गयी उसे अपने बीच पाकर।
फिर संगीत पर वह गीत बजने लगा जो सीरियल में महाभीम गाता है-महाभीम ये बतलाता है बच्चों क्या क्या खाओ। खाकर हेल्दी फूड फटाफट तुम हेल्दी हो जाओ। नया मैं फंडा देता हूं। नया हथकंडा देता हूं वह गीत बजने लगा और महाभीम बच्चों के बीच नाचने लगा। बच्चे भी उसके साथ नाचते रहे और तमाम बच्चे अपने मोबाइल फोन और टैब से उसकी तस्वीरें खींचने और वीडिओ बनाने में जुट गये। बच्चों ने महाभीम के साथ सेल्फी भी ली। दूसरा दौर था जब महाभीम बच्चों को तरह-तरह के खाने पीने की चीजें देने लगा और फायदे भी साथ ही संक्षेप में गिनाने लगा। चाकलेट..फल.. तरह- तरह की मिठाइयां, बिस्कुट आदि। बच्चे आनंदित थे। और उन्हें आनंदित देख आयोजक प्रसन्न। प्रतिष्ठान की मालकिन महाभीम के साथ सेल्फी ले ही रही थी कि अचानक यह क्या..महाभीम लड़खड़ा कर गिर पड़ा। किसी को कुछ समझ में नहीं आया सभी हतप्रभ थे। आनन फानन में कार्यक्रम के समाप्ति की घोषणा करनी पड़ी और कहना पड़ा कि महाभीम की तबीयत अचानक खराब हो गयी है। बच्चे महाभीम की अस्वस्थता से उदास होकर लौटे। महाभीम को उठाकर दो लोग भीतर कमरे में ले गये और एक बेंच पर लिटा दिया। दरवाजा अंदर से बंद कर उसका मुखौटा हटाकर उसके मुंह पर पानी मारा गया तो वह होश में आया।
महाभीम को लाने वाली एजेंसी के प्रतिनिधि अब तक आयोजकों द्वारा पर्याप्त फटकार सुन चुके थे और उनका भुगतान खटाई में पड़ गया था। उन्हें जो रकम मिलनी थी उससे बहुत कम मिली थी। महाभीम होश में आने के बाद अपनी अस्वस्थता पर शर्मिंदा था क्योंकि बच्चों का एक खुशनुमा कार्यक्रम उसने खराब कर दिया था। उसे अपनी बच्ची याद आयी जिसे वह अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचा कर भागा भागा आया था ताकि इस कार्यक्रम के बाद उसे जो मजदूरी मिले उससे वह अपनी बच्ची की दवाएं खरीद सके। वह जब बच्चों के साथ ठुमके लगा रहा था उसे अस्पताल में जीवन मौत से जूझती बच्ची याद आ रही थी। जिसका नतीज़ा सामने था . उसे एजेंसी ने आज के काम की मजदूरी देने से इनकार कर दिया। महाभीम उन लोगों से पास ही रखी खाने पीने की चीजें भी नहीं मांग पाया हालांकि वह भूख के कारण अचेत हो गया था।

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