देशभक्ति गीत
ये मेरी धरती, ये मेरा अम्बर
ये मेरी नदियाँ ये मेरे पर्वत
अगर करूं ना मैं बात इनकी
तो मेरे जीवन में क्या रखा है !
-डॉ.अभिज्ञात
ये मेरी धरती, ये मेरा अम्बर
ये मेरी नदियाँ ये मेरे पर्वत
अगर करूं ना मैं बात इनकी
तो मेरे जीवन में क्या रखा है !
वो सरहदों पे सजीले फौजी
वो राह तक तक थकी निग़ाहें
अगर करूं ना मैं बात इनकी
तो मेरी धड़कन में क्या रखा है !!
हमारे खेतों का अन्न सोना
हमारी गायों का दूध अमृत
अगर करूं ना मैं बात इनकी
तो प्रभु के अर्चन में क्या रखा है !
हमारे संतों की वाणी राहें
हैं साझी संस्कृति हमारी बाहें
अगर करूं ना मैं बात इनकी
तो मेरे चिन्तन में क्या रखा है !
अगरचे थानों में लुटती अस्मत
और अस्पतालों में मरते बच्चे
जो इसपे बादल न फट पड़े तो
बरसते सावन में क्या रखा है!!
वो राह तक तक थकी निग़ाहें
अगर करूं ना मैं बात इनकी
तो मेरी धड़कन में क्या रखा है !!
हमारे खेतों का अन्न सोना
हमारी गायों का दूध अमृत
अगर करूं ना मैं बात इनकी
तो प्रभु के अर्चन में क्या रखा है !
हमारे संतों की वाणी राहें
हैं साझी संस्कृति हमारी बाहें
अगर करूं ना मैं बात इनकी
तो मेरे चिन्तन में क्या रखा है !
अगरचे थानों में लुटती अस्मत
और अस्पतालों में मरते बच्चे
जो इसपे बादल न फट पड़े तो
बरसते सावन में क्या रखा है!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें