-डॉ.अभिज्ञात
राधा-कृष्ण होली गीत
तेरे ही रंग में मन को रंगा है
तन भी रंग से सांवरे
ताना मारे तो मारे सारा गांव रे
ताना मारे तो मारे ब्रज गांव रे।
इक तो पवन मदमस्त बसंती
दूजे तेरा बांकापन है
तीजे अनुपम कान्हा रंग तुम्हारा
जिससे भीगा वृंदावन है
होश कहां मैं तुमको रंगती
भूल गयी सब दांव रे
ताना मारे तो मारे सारा गांव रे
ताना मारे तो मारे ब्रज गांव रे।
तेरी मुरली तान बुलाये
भागी आऊं कुंज गली में
तुममें समाकर मर जाऊंगी
मधुकर जैसे बंद कली में
तुम ही निकालो प्रिय मेरे कांटे
जो मैंने चुभो लिये पांव में
ताना मारे तो मारे सारा गांव रे
ताना मारे तो मारे ब्रज गांव रे।
गोपियां न्यारी, ग्वाले प्यारे
तुमको तकें जब यमुना तीर
तुम पर पहला रंग मेरा हो
मुझपे कन्हाई तेरा अबीर
अपनी इन रासों का मोहन
साक्षी है कदम्ब की छांव रे
ताना मारे तो मारे सारा गांव रे
ताना मारे तो मारे ब्रज गांव रे।
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वृंदावन की होली /गीत
आज खेलेंगे रंग गिरिधारी से
वृंदावन के बनवारी से।
चंदन फूल गुलाल से खेलें
रंगरसिया नंदलाल से खेलें
भर-भर रंग पिचकारी से।
राधा चाहें पहले रंगना
गोपियां-ग्वाले माने न कहना
कितनी मनुहार करें बारी-बारी से।
सीता के संग राम ने खेला
श्री राधा घनश्याम ने खेला
खेलीं पार्वतती शिव जटाधारी से।
बैर भुला कर गले लग जाओ
होली की भस्म को माथे लगाओ
है अर्जी सभी नर नारी से।
राधा-कृष्ण होली गीत
तेरे ही रंग में मन को रंगा है
तन भी रंग से सांवरे
ताना मारे तो मारे सारा गांव रे
ताना मारे तो मारे ब्रज गांव रे।
इक तो पवन मदमस्त बसंती
दूजे तेरा बांकापन है
तीजे अनुपम कान्हा रंग तुम्हारा
जिससे भीगा वृंदावन है
होश कहां मैं तुमको रंगती
भूल गयी सब दांव रे
ताना मारे तो मारे सारा गांव रे
ताना मारे तो मारे ब्रज गांव रे।
तेरी मुरली तान बुलाये
भागी आऊं कुंज गली में
तुममें समाकर मर जाऊंगी
मधुकर जैसे बंद कली में
तुम ही निकालो प्रिय मेरे कांटे
जो मैंने चुभो लिये पांव में
ताना मारे तो मारे सारा गांव रे
ताना मारे तो मारे ब्रज गांव रे।
गोपियां न्यारी, ग्वाले प्यारे
तुमको तकें जब यमुना तीर
तुम पर पहला रंग मेरा हो
मुझपे कन्हाई तेरा अबीर
अपनी इन रासों का मोहन
साक्षी है कदम्ब की छांव रे
ताना मारे तो मारे सारा गांव रे
ताना मारे तो मारे ब्रज गांव रे।
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वृंदावन की होली /गीत
आज खेलेंगे रंग गिरिधारी से
वृंदावन के बनवारी से।
चंदन फूल गुलाल से खेलें
रंगरसिया नंदलाल से खेलें
भर-भर रंग पिचकारी से।
राधा चाहें पहले रंगना
गोपियां-ग्वाले माने न कहना
कितनी मनुहार करें बारी-बारी से।
सीता के संग राम ने खेला
श्री राधा घनश्याम ने खेला
खेलीं पार्वतती शिव जटाधारी से।
बैर भुला कर गले लग जाओ
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1 टिप्पणी:
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