4/27/2009

दो शब्द नईम जी के लिए

एक खुला ई मेल
On 4/27/09, abhigyat . wrote:
प्रिय शतायु जोशी जी
नईम जी की मृत्यु का समाचार मुझे उसी दिन शाम को मिला जिस दिन उन्होंने इस दुनिया से नाता तोड़ा। मैं भारतीय भाषा परिषद के निदेशक डॉ.विजय बहादुर सिंह के आवास पर रात आठ बजे के करीब पहुंचा था। उन्होंने ही बताया। मैं तो सन्न रह गया। मैं दोषी हूं कि उस महान आत्मा के दर्शन न कर सका। आपसे कितनी बार मैंने कहा था कि चलना है देवास, उनसे मिलने। उनकी काष्ठ कला भी देखने की उत्कण्ठा थी। यही नहीं जब वेणु गोपाल जी इंदौर वेबदुनिया में मुझसे मिलने आये थे तो उन्होंने भी कहा था कि साथ चला जाये। व्यस्तताओं के कारण मैं टाल गया और वे अकेले गये। आपको तो याद होगा आपही से रास्ता उन्हें समझाया था। अब जबकि नईम जी नहीं हैं मुझे लग रहा है कि मैंने वह खोया है जिसे पाने की अरसे से आस रही। इंदौर भी एकाएक छूटा था बिना किसी योजना के। अब बस पछतावा है। मेरी ओर से भी उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर देंगे।
आपका
-अभिज्ञात
On Mon, 27 Apr 2009 13:06:58 UT, Anirudh Joshi <anirudh.joshi@webdunia.net> wrote:
Abhigyat jiapako to maloom hi hoga ki naeem khaan ji ka itakal ho gaya hai.shatayu