2/27/2014

दो नम्बरी लेखक होने का प्रमाण

वर्तमान साहित्य की ओर से आयोजित कमलेश्वर स्मृति कहानी प्रतियोगिता की दौड़ में मेरी कहानी 'क्रेज़ी फैंटेसी की दुूनिया' को शुमार किया गया था। पत्रिका के तत्कालीन सम्पादक कुंअरपाल सिंह ने मुझे बताया था कि आपकी कहानी दो नम्बर पर रही। हमने प्रतियोगिता में दो लोगों को इस सम्मान के योग्य पाया था किन्तु पुरस्कार प्रदान करने वालों का कहना था कि चूंकि सम्मान राशि दो लोगों में विभक्त करने पर कम हो जायेगी सो एक ही व्यक्ति को यह दिया जायेगा..अंतः आपकी कहानी को दूसरे नम्बर पर रख दिया गया। हालांकि हमने दोनों श्रेष्ठ कहानियों के सम्बंध में लम्बे आलेख आलोचकों से लिखवाये हैं। वे लेख वर्तमान साहित्य में प्रकाशित हुए पर मैं दो नम्बरी लेखक की हैसियत से रहा। फिर अगले वर्ष भी जब मेरी कहानी 'साेने की आरामकुर्सी वाला आदमी' को वर्तमान साहित्य की सम्पादक नमिता सिंह ने दो नम्बर की कहानी के तौर पर प्रकाशित किया तो यह लगभग तय सा होने लगा कि मैं दो नम्बरी लेखक जल्द ही करार दे दिया जाऊंगा। खैर इसी डर से मैंने वर्तमान साहित्य को कमलेश्वर सम्मान प्रतियोगिता के लिए कहानी देनी बंद कर दी। पर अब क्या करूं..ग्यारह हजार रुपये का राजस्थान पत्रिका सृजनात्मक साहित्य पुरस्कार' मेरे दो नम्बरी साहित्यकार होने को प्रमाणित करता है।

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