पुस्तकों का प्रकाशन विवरण
लेखकों के पत्र
कहानी
तीसरी बीवी
कला बाज़ार
दी हुई नींद
वह हथेली
अनचाहे दरवाज़े पर
आवारा हवाओं के ख़िलाफ चुपचाप
सरापता हूं
भग्न नीड़ के आर पार
एक अदहन हमारे अन्दर
खुशी ठहरती है कितनी देर
मनुष्य और मत्स्यकन्या
बीसवीं सदी की आख़िरी दहाई
कुछ दुःख, कुछ चुप्पियां
टिप टिप बरसा पानी
मुझे विपुला नहीं बनना
ज़रा सा नास्टेल्जिया
कालजयी कहानियांः ममता कालिया
कालजयी कहानियांः मृदुला गर्ग
3/22/2014
आकाशवाणी कोलकाता की ओर से कवि सम्मेलन 24 मार्च 2014 को
1 टिप्पणी:
संगीता पुरी
ने कहा…
वाह बढिया है ...
शनिवार, 22 मार्च, 2014
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1 टिप्पणी:
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