2/11/2015

अदम गोंडवी का पत्र अभिज्ञात के नाम

लेखकों के पत्र
 
अदम गोंडवी
आटा-परसपुर
गोण्डा (उ.प्र.)
प्रिय भाई,
जो कार्य अब तक महिलाएं करती रहीं उसे अपने ऊपर लेकर बड़े साहस का परिचय दिया आपने बधाई। रूस का पतन 'क्रांति का आत्मसंघर्ष' और अब सरापने पर उतारू नयी पीढ़ी..मुल्क का क्या होगा जय श्रीराम। पुस्तक पढ़ रहा हूं फिर लिखूंगा। यह पत्र मैं दूसरे उद्देश्य से लिख रहा हूं कृपया ध्यान दें। आपने लिखा था-क्यों अच्छे लगते हो केदारनाथ सिंह। अब उसे मूर्त रूप देते हुए लगभग 50-60 पेज पृष्ठों में समायोजित करके मेरे पास भेज दीजिए। यहां अवध विश्वद्यिालय कुछ कवियों पर एक लेख माला छपवा रहा है उसका संपादन मेरे मित्र प्राध्यापक श्री जयनारायण बुधवार कर रहे हैं। मैंने उनसे वादा कर लिया है कि केदार जी पर आप लिखेंगे। लेख धांसू होना चाहिए एकदम कलेजा फाड। मई के पहले सप्ताह तक भेज दें कृपा होगी।
मैंने पहले भी कहा था शांतिनिकेतन या पुरी के लिए कार्यक्रम बनाइए। वैसे तुम्हारा साथ रहे तो नर्क तक की यात्रा भी सुखद रहेगी।
प्रतिभा पूनम अभिज्ञात
दूर रहकर भी
मैं इस बात कायल होता जा रहा हूं
कि मेरा भी है इस घर में अधिकार
जो एक सहोदर भाई का बनता है
सबको यथायोग्य परिवार में।
सद्भभावी
अदम गोण्डवी
 5 अप्रैल 1992
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