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गोरको पतरको काजर लगाइल नजरा जइबू हो।
आन भले तू बूझ हमके पजरा पइबू हो।
खोजेलू केकरा बोल
घूमेलू रोजे बजारी
छतवा पर लउकेलू सौ बेरी
लइका दबा अंकवारी
दिल के बात बता द कबले पचरा गइबू हो।
कनखी से ताकेलू तू काहे
दंतवा में ओढ़नी दबा के
मुस्कालू तू इचको गोरी
ध देलू हमके मुआ के
नीमन छोड़ि के बाऊर संगे अझुरा जइबू हो।
हमरे घरे आ जा मिल के
रोजे चौका पुराई
पुअरा में जाके लुकाइब जा
गंगा में डुबकी लगाईं
तू रतरानी के गमकउवा गजरा पइबू हो।
1 टिप्पणी:
वाह अभिज्ञात जी,
वाकई मजा आ गइल। एकरा साथ ही पुरानका भोजपुरी सिनेमा के एगो गाना इयाद आवता...गोरकी पतरकी रे, मारे गुलेलवा जियरा उडी-उडी जाव...
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